SC ने केंद्र सरकार से कहा की ट्रांसजेंडर को नौकरियों में नीतिगत ढंग से समायोजित करे
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार (Central Government) को एक सुसंगत नीतिगत ढांचा तैयार कराने का निर्देश दिया है जिससे नौकरियों में ट्रांसजेंडर (Transgender) के ‘उचित समायोजन’ हो सके. ट्रांसजेंडर को उनके संरक्षण के लिए लागू वर्ष 2019 के कानून के तहत आने वाले प्रतिष्ठानों की नौकिरयों में मौका मिले. शीर्ष अदालत ने कहा कि 10 जनवरी, 2020 से लागू ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019, ऐसे लोगों के अधिकारों के विकास के लिहाज से ऐतिहासिक है.
यह कानून ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों, उनके कल्याण और अन्य जुड़े मामलों की रक्षा के लिए है. न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में एक ट्रांसजेंडर की याचिका पर यह निर्देश जारी किया. वर्ष 2014 में एक लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने वाली याचिकाकर्ता ने केबिन क्रू सदस्य के रूप में नौकरी से वंचित करने के तत्कालीन एयर इंडिया के फैसले को चुनौती दी थी. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि उसका विचार है कि केंद्र को राष्ट्रीय परिषद के परामर्श से एक उचित नीतिगत ढांचा तैयार करना चाहिए ताकि ट्रांसजेंडर लोगों को नौकरी पाने में उचित समायोजन प्रदान किया जा सके.
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टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद उसका चयन नहीं किया गया
याचिकाकर्ता का जन्म वर्ष 1989 में तमिलनाडु में हुआ था और उसने 2010 में इंजीनियरिंग में स्नातक किया. अप्रैल 2014 में उसने एक महिला बनने के लिए लिंग पुनर्मूल्यांकन सर्जरी करवाई और यह जानकारी राज्य सरकार के राजपत्र में प्रकाशित हुई. इसके बाद याचिकाकर्ता ने एयर इंडिया में केबिन क्रू पद के लिए महिला वर्ग में आवेदन किया, लेकिन टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद उसका चयन नहीं किया गया.
केबिन क्रू में रिक्तियां केवल महिलाओं के लिए निर्धारित की गई थीं
अपनी याचिका में उसने कहा कि उसका चयन इसलिए नहीं किया गया कि वह एक ट्रांसजेंडर थी और केबिन क्रू में रिक्तियां केवल महिलाओं के लिए निर्धारित की गई थीं. याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से भी उसकी समस्या का निवारण नहीं हुआ. इसके बाद उसने याचिका दायर करके अपनी उम्मीदवारी पर विचार करने के लिए एयर इंडिया और मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया.