धार भोजशाला में सर्वे के 57वें दिन दो और बड़े पाषाण अवशेष मिले
धार
मध्य प्रदेश के धार भोजशाला में सर्वे के 57वें दिन बड़ी खबर सामने आई है। भोजशाला परिसर की उत्तर दिशा की खुदाई में ऐतिहासिक अवशेष मिलने का दावा किया गया। एएसआई की खुदाई के दौरान परिसर से दो और बड़े पाषाण (पत्थर या शिलाखंड) अवशेष मिले हैं। हिंदू पक्ष के अनुसार, दोनों पाषाण अवशेष एक-एक क्विंटल से अधिक वजन के हैं। ये किस काल के हैं, जानने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) परीक्षण कराएगा।
वहीं, मामले में मुस्लिम समाज का कहना है कि ऐतिहासिक भोजशाला में जगह-जगह खुदाई की जा रही है, जिससे उक्त स्थल के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ हो रही है। साथ भोजशाला के अंदर जगह-जगह खोदे गए गड्डों की वजह से शुक्रवार को मुस्लिम समाज द्वारा पढ़ी जा रही नवाज में भी लोगों को दिक्कतें आ रही हैं।
उल्लेखनीय है कि संस्कृत और मराठी भाषा में पाषाण का शाब्दिक अर्थ चट्टान या पत्थर होता है। पाषाण से उसकी सभ्यता और संस्कृति का पता लगता है। ऐसे में जाना जा सकेगा कि भोजशाला में मिले ये पाषाण किस सभ्यताकाल के हैं। भोजशाला में एएसआई सर्वे का शुक्रवार को 57वां दिन रहा। परिसर में जुमे की नमाज पढ़े जाने की वजह से एएसआई ने सुबह छह से दोपहर 12 बजे तक ही सर्वे किया।
इससे पहले एएसआई टीम ने परिसर में अधिक से अधिक स्थलों की खुदाई का कार्य कराने के मकसद से मजदूरों की संख्या बढ़ा दी। नतीजतन, भीतरी और बाहरी क्षेत्रों में खुदाई कार्य में तेजी आई है। विशेष टीम ने वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी की। दक्षिण और पश्चिम के कोने में जहां तलवार मिली थी, उस स्थान पर कुछ और मिलने की संभावना से शुक्रवार को खुदाई जारी रही।
दीवारों की नींव और गहरी मिली
एक दिन पहले भोजशाला गर्भगृह में खुदाई के दौरान दिखीं दो दीवारों के इर्दगिर्द भी शुक्रवार को फिर खुदाई कराई गई। इनकी नींव पहले लगभग 15 फीट गहरी होने का अनुमान था लेकिन इतनी गहराई की खुदाई में भी नींव नहीं मिल सकी है। समझा जा रहा है कि इनकी नींव 20 फीट से भी ज्यादा गहराई में हो सकती है। शनिवार को दोनों दीवारों की नींव तक पहुंचने के लिए खुदाई की जाएगी।
अब तक मिले अवशेषों पर हिंदू प्रतीक चिह्न होने का दावा
इस प्रकरण में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दाखिल करने वाले आशीष गोयल ने बताया कि एएसआई सर्वे के दौरान कराई गई खुदाई में अब तक लगभग 400 बड़े अवशेष मिल चुके हैं। उनका दावा है कि इनमें से अधिकांश अवशेषों पर हिंदू धर्म के प्रतीक चिह्न अंकित हैं। कुछ पर देवी-देवताओं के चित्र भी मिले हैं। वहीं एक हजार से अधिक छोटे अवशेष भी मिले हैं।