November 24, 2024

मेला प्राधिकरण का कारनामा: सती अनुसुइया, रामघाट, गुप्त गोदावरी को तीर्थ नहीं मानते अफसर!

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भोपाल
मध्यप्रदेश तीर्थ स्थान और मेला प्राधिकरण भोपाल को मध्यप्रदेश के तीर्थ स्थलों की जानकारी नहीं है। इसीलिए धार्मिक न्यास और धर्मस्व (अब अध्यात्म) विभाग के अफसरों ने मध्यप्रदेश के तीर्थ स्थलों को शासन की सूची में शामिल करने के बजाय उत्तर प्रदेश के तीर्थ स्थलों को शामिल करने का कारनामा किया है।

अफसरों की यह लापरवाही भगवान राम की तपस्थली चित्रकूट में मौजूद तीर्थ स्थल और राम वनगमन पथ के मामले में सामने आई है। प्राधिकरण ने प्रदेश भर में चिन्हित 103 तीर्थ स्थलों में राम वनगमन पथ में मौजूद आश्रमों के स्थल को भी सूची से गायब कर दिया है। इतना ही नहीं सूची में प्रदेश के 52 जिलों के बजाय सिर्फ 35 जिलों के तीर्थ ही शामिल हैं।

भगवान राम की तपस्थली चित्रकूट में सबसे अधिक हिस्सा एमपी का आता है। इसमें कामतानाथ स्वामी, रामघाट, सती अनुसुइया, सुतीक्षण आश्रम, गुप्त गोदावरी सबसे अधिक फेमस हैं और हर साल दीपावली पर यहां दीपदान मेला लगता है जिसमें देश भर के बीस लाख से अधिक लोगों का जमावड़ा होता है। तीर्थ स्थल और मेला प्राधिकरण की सूची में ये कोई भी स्थान शामिल नहीं हैं।

सतना जिले के चित्रकूट में जो तीर्थ स्थल मेला प्राधिकरण की सूची में शामिल हैं, उसमें चित्रकूट तीर्थ- सीता रसोई, जानकी कुंड, भरत कूप, रामसैया, गणेश कुंड, वाल्मिकी आश्रम, विराध कुंड और वनदेवी शामिल हैं। मझगवां के राजस्व अनुविभागीय अधिकारी पीएस त्रिपाठी के अनुसार इसमें से भरत कूप, रामसैया, विराध कुंड, गणेश कुंड एमपी में नहीं आते हैं। ये सभी यूपी के चित्रकूट की सीमा में हैं। माता शारदा मंदिर का नाम भी इसमें शामिल है पर बिरसिंहपुर का गैवीनाथ मंदिर नहीं है।

उज्जैन के भी सैकड़ों स्थल गायब
इस सूची में बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के भी सैकड़ों मंदिरों को गायब रखा गया है। यहां महाकाल मंदिर, उज्जैन तीर्थ-काल भैरव, हरसिद्धि देवी मंदिर, चित्रगुप्त तीर्थ, जैन तीर्थ, निष्कलेश्वर, करेड़ी माता, महिदपुर, पार्श्वनाथ के नाम हैं पर 84 कोस के मंदिर, प्रसिद्ध चिंतामण मंदिर, मंगलनाथ समेत सैकड़ों मंदिरों को शामिल नहीं किया गया है। सीहोर में सलकनपुर देवी मंदिर का नाम है बाकी कोई अन्य स्थल नहीं शामिल है। जबलपुर से गौरीशंकर तीर्थ और मझौली का नाम है। भिंड जिले में रावतपुरा धाम का नाम है लेकिन पंडोखर और दंदरौआ सरकार मंदिर के नाम शामिल नहीं हैं।

रीवा संभाग में सतना के अलावा किसी अन्य जिले का नाम नहीं
रीवा संभाग के रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली जिलों में सिर्फ सतना जिले के तीर्थ इस सूची में शामिल किए गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के क्षेत्र देवतालाब का सदियों पुराना शिव मंदिर और रीवा में महामृत्युंजय मंदिर समेत आधा दर्जन धार्मिक स्थलों पर हर साल मेला लगता है लेकिन ये तीर्थ और मेला सूची में शामिल नहीं हैं। सीधी जिले में चुरहट के पास स्थित सदियों पुराने शिव मंदिर को भी अनदेखा किया गया है। इसी तरह पन्ना जिले के सलेहा में अगस्त्य मुनि का सिद्ध आश्रम है और पन्ना में जुगल किशोर और जगन्नाथ के मंदिर हैं जो धार्मिक महत्व रखते हैं, ये भी सूची से नदारद हैं।

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