यात्री, ईवी डीलर को वित्तपोषण उपलब्ध कराने को टाटा मोटर्स ने बजाज फाइनेंस से हाथ मिलाया
यात्री, ईवी डीलर को वित्तपोषण उपलब्ध कराने को टाटा मोटर्स ने बजाज फाइनेंस से हाथ मिलाया
इंडिया सीमेंट्स का शुद्ध घाटा चौथी तिमाही में घटकर 50.06 करोड़ रुपये
टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, इनकम टैक्स बकाया पर माफ किया ब्याज
नई दिल्ली
टाटा मोटर्स की यात्री वाहन और यात्री इलेक्ट्रिक परिवहन से जुड़ी अनुषंगी कंपनियों ने अपने डीलरों को आपूर्ति श्रृंखला वित्तीय समाधान उपलब्ध कराने के लिए बजाज फाइनेंस के साथ साझेदारी की है।
कंपनी ने बयान में कहा कि टाटा मोटर्स की अनुषंगी कंपनियां टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स (टीएमपीवी) और टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (टीपीईएम) ने अपने यात्री तथा इलेक्ट्रिक वाहन डीलरों के लिए आपूर्ति श्रृंखला वित्तीय समाधान का विस्तार करने के लिए बजाज फाइनेंस के साथ हाथ मिलाया है।
इसमें कहा गया है समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत टीएमपीवी और टीपीईएम के डीलरों को न्यूनतम गारंटी के साथ वित्तपोषण उपलब्ध कराने के लिए बजाज फाइनेंस की व्यापक पहुंच का लाभ उठाया जाएगा।
टीपीईएम के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) एवं टीएमपीवी के निदेशक धीमान गुप्ता ने कहा कि बजाज फाइनेंस के साथ साझेदारी डीलर भागीदारों की बढ़ी हुई कार्यशील पूंजी तक पहुंच को और मजबूत करेगी।
बजाज फाइनेंस के उप-प्रबंध निदेशक अनूप साहा ने कहा, ‘‘ इस वित्तपोषण के जरिये हम टीएमपीवी तथा टीपीईएम के अधिकृत यात्री व इलेक्ट्रिक वाहन डीलरों को वित्तीय पूंजी से लैस करेंगे, जो उन्हें बढ़ते यात्री वाहन बाजार द्वारा पेश किए गए अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगा।’’
साहा ने कहा कि इस सहयोग से न केवल डीलरों को लाभ होगा बल्कि यह भारत में मोटर वाहन उद्योग की वृद्धि में भी मदद करेगा।
इंडिया सीमेंट्स का शुद्ध घाटा चौथी तिमाही में घटकर 50.06 करोड़ रुपये
नई दिल्ली
इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड का जनवरी-मार्च तिमाही में एकीकृत शुद्ध घाटा कम होकर 50.06 करोड़ रुपये रहा। कंपनी का पिछले साल इसी अवधि में शुद्ध घाटा 243.77 करोड़ रुपये था।
इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड ने शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि समीक्षाधीन तिमाही में परिचालन आय 1,266.65 करोड़ रुपये रही, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह 1,485.73 करोड़ रुपये थी। कुल व्यय बढ़कर 1,351.84 करोड़ रुपये हो गया जो पिछले साल इसी अवधि में 1,637.65 करोड़ रुपये था। समूचे वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी का एकीकृत शुद्ध घाटा कम होकर 215.76 करोड़ रुपये हो गया। परिचालन आय घटकर 5,112.24 करोड़ रुपये रही।
इंडिया सीमेंट्स ने भविष्य की रणनीति पर कहा, लोकसभा चुनाव और कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद, केंद्र तथा राज्यों से विकास के एजेंडे पर अपना ध्यान बनाए रखने की उम्मीद है। सरकार, निजी क्षेत्र के आवास और वाणिज्यिक क्षेत्रों द्वारा बुनियादी ढांचे पर निरंतर खर्च करने से आने वाले महीनों में निर्माण गतिविधि तेज होने की उम्मीद है। यह सीमेंट उद्योग के लिए अच्छा है।
टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, इनकम टैक्स बकाया पर माफ किया ब्याज
नई दिल्ली
रिलायंस जियो, एयरटेल समेत देश की दूसरी टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों के बकाया इनकम टैक्स पर लगने वाले ब्याज को माफ कर दिया है.
दरअसल, अक्टूबर 2023 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इन कंपनियों की लाइसेंस फीस को इनकम टैक्स एक्ट के तहत 'कैपिटल एक्सपेंडीचर' के रूप में माना जाए, न कि 'रेवेन्यू एक्सपेंडीचर' के रूप में माना जाए. इस फैसले के बाद ही इनकम टैक्स कंपनियों पर टैक्स देनदारी बढ़ी और ब्याज भी बढ़ा.
सुप्रीम कोर्ट ने लाइसेंस फीस को माना था कैपेक्स खर्च
1999 की नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियों को एंट्री के लिए वन-टाइम लाइसेंस फीस देनी होती थी, इसके साथ ही लाइसेंस फीस देनी होती थी जो उनके सालाना टर्नओवर के आधार पर होता था. ये लाइसेंस फीस पिछली पॉलिसी के ठीक उलट थी, जिसमें लाइसेंस फीस को सिर्फ एक बार देना होता था.
इसलिए टेलीकॉम कंपनियों ने तर्क दिया कि लाइसेंस फीस का जो भुगतान वन-टाइम किया गया, उसकी प्रकृति 'कैपिटल' थी, जबकि सालाना लाइसेंस फीस की प्रकृति रेवेन्यू थी. हालांकि, कोर्ट ने फैसला दिया कि वैरिएबल लाइसेंस फीस जिसका भुगतान सालाना किया जाता है, उसको रेवेन्यू के रूप में री-क्लासिफाई नहीं किया जा सकता है. इसमें कहा गया है, 'केवल भुगतान के तरीके पर विचार करके किसी वन-टाइम लेनदेन को कैपिटल पेमेंट और रेवेन्यू पेमेंट में बनावटी तरीके से बांटा नहीं किया जा सकता है'
टेलीकॉम कंपनियों ने फैसला वापस लेने की अर्जी दी
सुप्रीम कोर्ट का पिछले साल का ये फैसला टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका था. इसलिए टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर कोर्ट से इस फैसले को वापस लेने की अपील की थी.
टेलीकॉम कंपनियों का तर्क था कि अगर फैसले को लागू किया गया, तो इसका टेलीकॉम कंपनियों की टैक्सेबल इनकम पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा, उनकी टैक्सेबल इनकम बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी, चूंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 20 साल से चली आ रही व्यवस्था एकदम से बदल गई है, टेलीकॉम कंपनियों को इतने लंबे समय तक के लिए मोटा ब्याज देना होगा.
रेवेन्यू और कैपेक्स खर्च से क्या बदला?
16 अक्टूबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि टेलीकॉम कंपनियां हर साल अपने प्रॉफिट के प्रतिशत के रूप में जो लाइसेंस फीस देती हैं, उसे रेवेन्यू एक्सपेंडीचर के रूप में नहीं माना जाना चाहिए बल्कि उसे कैपिटल खर्च माना जाना चाहिए. इस फैसले से टेलीकॉम कंपनियों की टैक्सेबल इनकम बढ़ने का खतरा मंडराने लगा था.
पहले क्या होता था- कंपनियां इस लाइसेंस फीस को रेवेन्यू खर्च मानती थीं. वो इसका इस्तेमाल कंपनी के सामान्य खर्चों के लिए करती थीं, और इस रकम को रेवेन्यू में से घटा देती थीं, जिससे उनकी टैक्सेबल इनकम कम हो जाती.
फैसले के बाद क्या बदला- सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले के बाद इस लाइसेंस फीस को कैपिटल एक्सपेंडीचर माना गया, यानी अब टेलीकॉम कंपनियां इस फीस को अपने रेवेन्यू में से नहीं घटा सकती हैं. इसे कंपनी के कैपिटल एसेट्स पर किया गया निवेश माना गया. अब इससे कंपनियों के ऊपर टैक्स की देनदारी बढ़ गई. ऐसे में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पिछली तारीख से कंपनियों से टैक्स की मांग कर सकता है, जो काफी मोटा हो सकता है.
टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से ये फैसला वापस लेने की अपील की थी. फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला वापस लेने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि वो 1999 के बाद के असेसमेंट ईयर के दौरान देय ब्याज को माफ करने पर विचार करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए फैसले में टैक्स पर बने ब्याज को माफ करके टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत दी है.