बिहार में महिलाओं के उत्थान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का है अभूतपूर्व योगदान
पटना
90 के दशक और अब के समय में बिहार में एक बड़ा फर्क आया है। अगर 90 के दशक में आप सुबह बिहार की सड़क पर निकलते तो एक भी लड़की पढ़ने के लिए जाती नजर नहीं आती थी, लेकिन पिछले दस सालों में ये तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है। अब बिहार की सड़कों पर सुबह में लड़कियां हजारों की तादाद में साइकिल चलाकर पढ़ने के लिए जाती नजर आ जाएंगी। इस सकारात्मक बदलाव का क्रेडिट आम तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही दिया जाता है।
बिहार में 2005 से पहले महिलाओं की स्थिति दयनीय थी। जब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की कमान संभाली है तब से ही उन्होंने महिलाओं के उत्थान पर खास ध्यान दिया है। नीतीश बाबू ने बिहार में महिलाओं को एक अलग सामाजिक और राजनीतिक समूह के तौर पर विकसित किया है। उन्होंने महिलाओं को ऐसे समूह के रूप में तैयार किया है, जो जात-पात से ऊपर उठकर उनका समर्थन करते हैं। नीतीश बाबू ने महिलाओं की सुरक्षा पर खास ध्यान दिया है। महिलाओं की सिफारिश पर ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून लागू किया था। शराबबंदी कानून से बिहार की महिलाओं को काफी फायदा हुआ है।महिलाओं को शराबी पति के हाथ से हो रहे उत्पीड़न से मुक्ति मिली है।
महिलाओं के कल्याण के लिए नीतीश बाबू ने कई योजनाएं चलाई
नीतीश कुमार ने सबसे पहले लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान दिया। स्कूल में लड़कियों के नामांकन में इजाफे के लिए सरकार ने बिहार में बालिका साइकिल योजना शुरू की थी। साथ ही स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना से ड्रेस मुहैया कराया गया। महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए नीतीश बाबू ने एक बड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया। उन्होंने पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया। वहीं नीतीश बाबू ने सरकारी नौकरी में महिलाओं की भागीदारी के लिए पहली बार बिहार में महिला आरक्षण का भी प्रावधान लागू किया। शिक्षक नियोजन में वर्ग 1 से 5 तक में टीचरों की बहाली में महिलाओं को 50 फीसदी का आरक्षण दिया गया। बिहार सरकार की तमाम सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण नीतीश कुमार ने ही दिलाया।
महिलाओं को उद्यमी बनाने की सरकार की योजना
नीतीश बाबू ने महिलाओं को लघु उद्योग खड़ा करने में भी मदद की है। नीतीश बाबू ने मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के तहत महिलाओं को अपना उद्यम स्थापित करने के लिए दस लाख की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया है। इसमें पांच लाख अनुदान और पांच लाख ब्याज मुक्त ऋण का प्रावधान नीतीश सरकार की ओर से किया गया है। साथ ही मुख्यमंत्री सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत महिला अभ्यर्थियों को यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर एक लाख और बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर पचास हजार प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाने का प्रावधान भी किया गया है।
‘जीविका’ योजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शिता का है प्रतीक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ग्रामीण महिलाओं के उत्थान के लिए जीविका योजना की शुरुआत की है। 'जीविका' बिहार के ग्रामीण इलाकों में उन महिलाओं के लिए काफ़ी मददगार है जिनके पास आय का कोई साधन नहीं है। यह योजना बिहार के सभी 38 जिलों के सभी 534 ब्लॉक में चल रही है।जीविका के तहत सबसे पहले ग़रीब महिलाओं को चुना जाता है, जिनके पास आय का कोई साधन नहीं होता है।ऐसी 10 से 12 महिलाओं का एक सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाया जाता है, ताकि उन्हें किसी काम काज से जोड़ा जा सके।ऐसे हर ग्रुप का एक बैंक खाता खुलवाया जाता है और हर महिला को हफ़्ते में 10 रुपये बचाकर बैंक में जमा कराना होता है ताकि उनमें पैसे बचाने की आदत डाली जा सके।हर ग्रुप के खाते में बिहार सरकार की तरफ से भी 30 हज़ार रुपए जमा कराया जाता है। इसे प्रोजेस्ट फाइनेंसिंग कहा जाता है। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इससे कर्ज़ लेकर कोई भी काम शुरू कर सकती हैं। किसी भी ज़रूरत के लिए यहां से ग्रामीण महिलाएं लोन ले सकती हैं।इसका पैसा इन्हें ग्रुप के खाते में वापस करना होता है। यहां पैसे को सफलता से वापस करने के बाद बैंक ऐसे एक समूह को शुरू में डेढ़ लाख रुपए तक का लोन देती है।
बिहार के ग्रामीण इलाकों पर 'जीविका' योजना का असर
नीतीश सरकार ने साल 2007 में जीविका योजना लागू किया था। इस योजना का बिहार के ग्रामीण इलाकों पर सकारात्मक असर पड़ा।एक अनुमान के मुताबिक 'जीविका' योजना से राज्य की एक करोड़ 30 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इस योजना में एक परिवार से एक महिला को जोड़ा जाता है। बिहार की करीब आधी आबादी जीविका योजना से जुड़ी हुई है और ग्रामीण आबादी की बात करें तो करीब 60 फीसदी आबादी सीधे तौर पर 'जीविका' से जुड़ी हुई है। ग्रामीण इलाके की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में जीविका योजना की अहम भूमिका रही है,इसलिए केंद्र सरकार ने भी ‘जीविका’ को ‘आजीविका’ के रूप में अपना लिया है।