सिसोदिया की बेल अर्जी पर HC की कड़ी टिप्पणी, पैसा नहीं मिला इसका मतलब यह नहीं कि करप्शन नहीं हुआ…
नई दिल्ली
दिल्ली शराब घोटाला मामले में फंसे मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ी बात कही। कोर्ट ने कहा कि अगर घर से पैसे नहीं मिले, इसका यह मतलब नहीं है कि भ्रष्टाचार नहीं हुआ। हाई कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि अब लोग अपराध करने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं, जिनसे कोई सबूत नहीं मिलता। सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि जब कई आरोपियों के साथ मिलकर साजिश रची जाती है, तो ऐसे धन शोधन के मामलों में जरूरी नहीं है कि सीधे तौर पर पैसा बरामद हो।
हाईकोर्ट ने कही गंभीर बात
हाई कोर्ट ने सिसोदिया के केस में कहा कि शराब नीति मामले में सरकारी पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का “गंभीर अपराध” किया गया है। इससे अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचता है, कानून का राज कमजोर होता है और लोगों का संस्थानों पर भरोसा कम होता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने जांच के दौरान दर्ज किए गए कुछ हवाला डीलरों और अन्य गवाहों के बयानों की ओर इशारा करते हुए इस तर्क को खारिज कर दिया कि पूर्व उपमुख्यमंत्री से कोई पैसा बरामद नहीं किया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालत का विचार है कि अभियोजन पक्ष ने इस स्तर पर मनीष सिसोदिया के खिलाफ धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 3 के तहत धन शोधन का प्रथम दृष्टया मामला बनाया है।
भ्रष्टाचार का वह रूप सबसे खराब जो…
हाई कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार का वह रूप सबसे खराब हो सकता है, जो गरीब और आम लोगों के सही संसाधनों को चुराकर अमीरों को दे देता है। उन्होंने बताया कि नई आबकारी नीति ने आम और छोटे व्यवसायों को खत्म कर दिया है और शराब व्यवसाय में पूरा दबदबा उन लोगों को दे दिया है जिनके पास पैसा, ताकत थी और उन्होंने नीति बनाने वालों को आर्थिक लाभ के आधार पर एक गुट बना लिया था। इससे अपराध की गंभीरता बढ़ती है। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि कानून की अदालतों को भ्रष्टाचार के स्वतंत्र रूप से चलने में लगातार बाधा माना जा सकता है, और भले ही ऐसा हो और उन्हें बाधा माना जाए, यह जनता की जीत है।