November 12, 2024

सेना प्रमुख ने पासिंग आउट परेड में नई तकनीक के सहारे सैन्य क्रांति पर जोर दिया

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नई दिल्ली

 थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने  नई तकनीक के सहारे सैन्य क्रांति पर जोर देते हुए सशस्त्र बलों में शामिल जवानों से एकजुटता की भावना को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने पासिंग आउट कोर्स के गौरवान्वित माता-पिता के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त की, जिन्होंने अपने बच्चों को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए भेजा।

सेना प्रमुख आज खेत्रपाल परेड ग्राउंड, एनडीए, खड़कवासला में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 146वें कोर्स की पासिंग आउट परेड को संबोधित कर रहे थे। परेड में कुल 1265 कैडेटों ने भाग लिया, जिनमें से 337 कैडेट पासिंग आउट कोर्स से थे। इसमें 199 सेना कैडेट, 38 नौसेना कैडेट और 100 वायु सेना कैडेट शामिल थे, जिनमें भूटान, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार और मालदीव जैसे मित्र देशों के 19 कैडेट थे। इसके अलावा 24 महिला कैडेटों के एक दल ने भी परेड में भाग लिया, जो अपने तीसरे और चौथे प्रशिक्षण सत्र में हैं।

सैन्य नेतृत्व के उद्गम स्थल के रूप में जाना जाने वाला एनडीए देश का प्रमुख संयुक्त सेवा प्रशिक्षण संस्थान है। जून, 2021 में 146वें कोर्स को शामिल किया गया और तीन साल के कठोर सैन्य प्रशिक्षण को पूरा करने के बाद कैडेट उत्तीर्ण हुए। कैडेट अब अपने-अपने प्री-कमीशनिंग प्रशिक्षण अकादमिक में शामिल होंगे। परेड की समीक्षा करते हुए थल सेनाध्यक्ष ने पासिंग आउट कोर्स के कैडेटों, पदक विजेताओं और चैंपियन स्क्वाड्रन को उनकी कड़ी मेहनत और शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी।

उन्होंने देश सेवा के लिए सेना में अपने बच्चों को भेजने वाले माता-पिता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कैडेटों को सेवा में आगे बढ़ने के साथ-साथ एकजुटता की भावना को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने शुक्रवार को नई तकनीक के सहारे सैन्य क्रांति पर जोर देते हुए सशस्त्र बलों में शामिल जवानों से एकजुटता की भावना को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। पासिंग आउट परेड के बाद राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के हट ऑफ रिमेंबरेंस में सेना प्रमुख ने उन बहादुरों को श्रद्धांजलि दी, जिनके नाम पवित्र परिसर में अंकित हैं। इस पवित्र स्मारक की दीवारें पिछले 75 वर्षों में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्रों के अदम्य साहस, वीरता और असंख्य बलिदानों की गाथा बयां करती हैं।

 

 

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