पाकिस्तान में ईसाई परिवार पर हमले की निंदा, मानवाधिकार आयोग ने ईशनिंदा से जुड़े नियमों बदलाव को बताया जरूरी
नई दिल्ली/सरगोधा.
झूठे ईशनिंदा के आरोपों के बाद सरगोधा में ईसाई परिवार पर हिंसक भीड़ के हमले की मानवाधिकार फोकस पाकिस्तान (एचआरएफपी) ने कड़ी निंदा की। एक छोटी जूता फैक्ट्री के मालिक और उनके बेटे पर कुरान के पन्नों का अपमान करने का आरोप लगाया गया था, जिस के बाद भीड़ ने उन पर हमला किया था। मामले की निंदा कर एचआरएफपी ने कहा कि इन नियमों में बदलाव होना चाहिए।
मामला शनिवार का है। मजाहिद कॉलोनी में एक छोटी जूता फैक्ट्री के मालिक नजीर मसीह और उनके बेटे सुल्तान मसीह पर कुरान के पन्नों का अपमान करने साथ ही कुरान के पन्नों को अपने कारखाने के सामने फेंकने का आरोप लगाया गया। इन आरोपों से कई व्यक्तियों, मौलवियों और इस्लामी छात्रों को उकसाने का काम किया। गुस्साए लोगों ने मसीह परिवार पर हमला बोल दिया। उनके व्यवसाय और घर में तोड़फोड़ कर दी। पीड़ितों के अनुसार, कुरान के पन्ने जानबूझकर उनके कारखाने के सामने बिखेरे गए थे। आरोप लगाने वालों ने हमला करने के लिए तेजी से भीड़ जुटाई। भीड़ के हमले से नज़ीर मसीह, सुल्तान मसीह और उनके परिवार गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें एम्बुलेंस द्वारा अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन वहां पर भी भीड़ ने वाहन पर हमला कर दिया। यही नहीं उनका आरोप है कि उन्हें मारने का प्रयास किया गया। हालांकि एंबुलेंस वहां से बचकर निकल गई। वहीं एचआरएफपी ने कहा, "एचआरएफपी की तथ्यान्वेषी टीम आपातकालीन रिपोर्टिंग और सहायता प्रदान करने के लिए तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। उन्होंने बताया कि ईसाइयों के खिलाफ झूठे ईशनिंदा के आरोप लगाने की ऐसी ही घटनाएं सरगोधा में बार-बार होती हैं।" एचआरएफपी ने यह भी कहा कि हम मसीह परिवार के लिए सुरक्षा और न्याय की मांग करते है। एचआरएफपी की टीम ने घटना के बारे में घटनास्थल से जानकारी ली, सबूत इकट्ठा किए हैं, पुलिस स्टेशन का दौरा किया है। साथ ही अस्पताल और चल रही सहायता में शामिल व्यक्तियों से बातचीत की। एचआरएफपी के अध्यक्ष नवीद वाल्टर ने ईशनिंदा के आरोपों के बाद तत्काल भीड़ की हिंसा के पैटर्न की आलोचना की। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कोई वास्तविक अपराध होता है तो शुरू में पुलिस को क्यों नहीं बुलाया जाता है? उन्होंने कहा कि भीड़ अक्सर हिंसा फैलाने के लिए पुलिस और एम्बुलेंस का पीछा करती है, जैसा कि इस मामले में देखा गया है।
ईशनिंदा कानून में बदलाव की मांग
एचआरएफपी के अध्यक्ष नवीद वाल्टर ने ईशनिंदा कानूनों को बदलने की बात कही। वाल्टर ने सभी ईशनिंदा पीड़ितों और उनके परिवारों को सुरक्षा और न्याय प्रदान करने के महत्व पर बात की। उन्होंने कहा कि नजीर और सुल्तान मसीह जैसे लोग भी इसमें शामिल हैं, जिन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। वहीं एचआरएफपी ने पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए नीति में बदलाव और सुरक्षात्मक उपायों के कार्यान्वयन का आह्वान करते हुए इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की मांग की।