झारखंड के पूर्व CM सोरेन ने जमानत के लिए दरवाजा खटखटाया, रांची हाईकोर्ट में शीघ्र सुनवाई का अनुरोध
रांची.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद हैं। सोमवार को उन्होंने जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया। भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सोरेन को 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। जेल में बंद सोरेन ने झारखंड उच्च न्यायालय से मामले की शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया।
पूर्व सीएम सोरेन की याचिका मंगलवार को सुनवाई के लिए जस्टिस रोंगोन मुखोपाध्याय की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई है। सोरेन ने अदालत के समक्ष दलील दी कि बार्गेन सर्कल में 8.5 एकड़ जमीन के किसी भी दस्तावेज में उनका नाम नहीं है। साथ ही उनके खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत कोई अपराध नहीं बनता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ईडी केवल कुछ लोगों के बयानों पर भरोसा कर रहा है, लेकिन ऐसे बयानों के समर्थन में उसके पास कोई दस्तावेज नहीं है।
सात घंटे की पूछताछ के बाद किया गया था गिरफ्तार
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सात घंटे की पूछताछ के बाद झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था। इससे पहले सोरेन को ईडी की हिरासत में राज्यपाल से मिलकर सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हेमंत सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से की गई उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।
सोरेन सहित अन्य सहयोगियों की जमीन कुर्क
ईडी ने हाल ही में सोरेन और उनके सहयोगियों की रांची में जमीन कुर्क की थी, जिसकी कीमत 8.86 करोड़ है। ईडी ने सोरेन के अलावा, भानु प्रताप प्रसाद, राज कुमार पाहन, हिलारियास कच्छप और बिनोद सिंह के खिलाफ 30 मार्च को पीएमएलए अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया था। मामले में मुख्य आरोपी झारखंड राजस्व विभाग के पूर्व अधिकारी और सरकारी रिकॉर्ड के संरक्षक प्रसाद हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने सोरेन सहित कई लोगों को अवैध कब्जे, अधिग्रहण से जुड़ी गतिविधियों में सहायता प्रदान करके अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया। ईडी ने अपने आरोप पत्र में कहा कि प्रसाद एक ऐसे सिंडिकेट का सदस्य था, जो फर्जी तरीकों से जमीन हासिल करने में शामिल था। वह मूल सरकारी रजिस्टरों के साथ छेड़छाड़, सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी और फर्जी दस्तावेज बनाना शामिल था।