Gautam Adani-Paytm में हिस्सेदारी खरीद रहे ? अहमदाबाद में मुलाकात… डील को लेकर ये अपडेट
नई दिल्ली
पेटीएम (Paytm) की पैरेंट कंपनी, वन 97 कम्युनिकेशंस में हिस्सेदारी खरीदने को अडानी ग्रुप (Adani group) पूरा जोर लगा रहा है. अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) और पेटीएम के संस्थापक सीईओ विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) की मुलाकात होने की खबरें भी आ रही हैं. सूत्रों का कहना है कि यह मीटिंग अहमदाबाद में हुई है, जिसमें डील को फाइनल करने को लेकर महत्वपूर्ण बातचीत हुई है. अगर अडानी ग्रुप पेटीएम में हिस्सेदारी खरीदने में कामयाब हो जाता है तो फिर ग्रुप फिनटेक क्षेत्र में गूगलपे और फोनपे को टक्कर देता नजर आएगा.
सूत्रों ने बताया कि अडानी और शर्मा के बीच पिछले कुछ समय से चर्चा चल रही है. अडानी ग्रुप पश्चिम एशिया के फंडों से भी बातचीत कर रहा है, ताकि उन्हें वन 97 में निवेशक के रूप में लाया जा सके, जिसने देश में मोबाइल पेमेंट में अग्रणी भूमिका निभाई है. 2007 में शर्मा द्वारा स्थापित वन 97, जिसका आईपीओ देश में दूसरा सबसे बड़ा था.
RBI के एक्शन के बाद चर्चा
पेटीएम की पैरेंट कंपनी में Gautam Adani के ग्रुप द्वारा हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी से संबंधित यह रिपोर्ट पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (PPBL) पर आरबीआई के एक्शन (RBI Action On Paytm) के बाद आई है, जिससे पेटीएम को बड़ा झटका लगा और उसे बीते मार्च तिमाही में तगड़ा घाटा उठाना पड़ा है. विजय शेखर शर्मा की अगुवाई वाली फर्म ने मार्च तिमाही में 549.60 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया, जो दिसंबर तिमाही में 219.80 करोड़ रुपये और पिछले साल की इसी तिमाही में 168.90 करोड़ रुपये था.
फिनटेक सेक्टर में जबरदस्त एंट्री की तैयारी
हालांकि, बिजनेस टुडे स्वतंत्र रूप से अडानी-पेटीएम फाउंडर की मुलाकात और डील पर चर्चा की इस रिपोर्ट की पुष्टि नहीं करता है, लेकिन अगर यह डील पूरी होती है, तो फिर बंदरगाहों (Port) से लेकर हवाई अड्डों (Airport) तक के बिजनेस से जुड़े अडानी ग्रुप को फिनटेक सेक्टर में एंट्री करने में मदद मिलेगी. गौरतलब है कि इससे पहले अपने कारोबार का विस्तार करते हुए अडानी ग्रुप ने सीमेंट निर्माता एसीसी (ACC Cement) और अंबुजा सीमेंट्स (Ambuja Cement) का अधिग्रहण किया था और बीते वित्त वर्ष मीडिया फर्म NDTV को भी अपने पोर्टफोलियो में शामिल किया था.
विजय शेखर शर्मा की पेटीएम में 19% हिस्सेदारी
केंद्रीय बैंक की ओर से पेटीएम की बैंकिंग यूनिट पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm Payment Banks) पर की गई बैन की कार्रवाई के बाद से ही ये फिनटेक फर्म संकट में है. इस दौरान सॉफ्टबैंक ने पेटीएम में अपनी मैजोरिटी हिस्सेदारी बेच दी है. इसके अलावा दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट की बर्कशायर हैथवे भी कथित तौर पर पिछले साल पेटीएम से बाहर निकल गई थी. एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया है कि गौतम अडानी का ग्रुप पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस (One97 Communications) में इन्वेस्टर्स के रूप में लाने के लिए पश्चिम एशियाई फंडों से भी संपर्क में है. बता दें कि विजय शेखर शर्मा के पास वन 97 कम्युनिकेशंस में करीब 19 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
आज शेयर पर दिख सकता है असर
अरबपति गौतम अडानी के साथ पेटीएम की डील से जुड़ी इन खबरों का असर कंपनी के शेयरों पर भी देखने को मिल सकता है. बीते कारोबारी दिन मंगलवार को Paytm Share 3.84 फीसदी की गिरावट के साथ 343 रुपये के स्तर पर बंद हुआ थे. पिछले एक महीने में इसके शेयर में करीब 10 फीसदी और बीते छह महीने में 60 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है. आरबीआई की कार्रवाई के बाद कंपनी के शेयर बुरी तरह टूटे थे. गिरावट के बीच Paytm Market Cap भी कम होकर 21780 करोड़ रुपये पर आ गया है.
NDTV के बाद होगी यह चर्चित डील
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक के पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर प्रतिबंध लगाने के बाद से ही पेटीएम मुश्किलों में घिरा है. वहीं, अगर पेटीएम डील सिरे चढती है तो अंबुजा सीमेंट्स और एनडीटीवी के बाद अडानी अडानी ग्रुप की यह महत्वपूर्ण खरीद होगी. एनडीटीवी की खरीद काफी चर्चा में रही थी.
पेटीएम में किसके पास कितनी हिस्सेदारी
विजय शेखर शर्मा के पास वन 97 में 19 फीसद हिस्सेदारी है, जिसकी कीमत मंगलवार को पेटीएम शेयर के 342 रुपये प्रति शेयर के बंद भाव के हिसाब से 4,218 करोड़ रुपये है. शर्माके पास पेटीएम में सीधे 9 फीसदी हिस्सेदारी है और एक विदेशी फर्म रेसिलिएंटएं एसेट मैनेजमेंट के जरिए 10 फीसदी हिस्सेदारी है. वन 97 द्वारा स्टॉक एक्सचेंजों में दाखिल किए गए दस्तावेजों के अनुसार शर्मा और रेसिलिएंटएं दोनों ही पब्लिक शेयरहोल्डर के रूप में लिस्टेड हैं. वन 97 के अन्य महत्वपूर्ण शेयरधारकों निजी इक्विटी फंड सैफ पार्टनर्स (15%), जैक मा द्वारा स्थापित एंटएं फिन नीदरलैंड (10%) और कंपनी के निदेशक (9%) हैं.
सेबी के नियमों के अनुसार किसी टार्गेटेड कंपनी में 25 फीसदी से कम हिस्सेदारी रखनेवाले अधिग्रहणकर्ता को कंपनी की न्यूनतम 26 फीसदी हिस्सेदारी के लिए ओपन ऑफर देना होता है. अधिग्रहणकर्ता कंपनी की पूरी शेयर कैपिटल के लिए भी ओपन ऑफर दे सकता है.