कर्मचारियों से लेकर पंडितों तक पर आरोप, दर्शन व्यवस्था में नहीं थम रहा भ्रष्टाचार
उज्जैन
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में तमाम जतन के बाद भी स्थिति नहीं संभल पा रही है। दर्शन व्यवस्था में भ्रष्टाचार और मारपीट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। चार दिनों में पांच ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें श्रद्धालुओं के साथ भस्म आरती व शयन आरती दर्शन के नाम पर अवैध वसूली की गई। कर्मचारियों के दो गुटों में विवाद और बुधवार रात दर्शनार्थियों के साथ मारपीट के मामले ने भी महाकाल दर्शन करने आने वाले भक्तों के मन में असुरक्षा का भाव पैदा कर दिया है। मंदिर की छवि को धूमिल करते इन मामलों में कर्मचारी से लेकर पंडितों तक पर आरोप लगे हैं। बावजूद सख्त कार्रवाई नहीं हो पा रही है। मंदिर में बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण प्रशासन की पकड़ ढीली हो रही है।
ये मामले बताते हैं व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है
23 मई को गुड़गांव के चार दर्शनार्थियों से एक पंडित ने शयन आरती दर्शन के नाम पर प्रति व्यक्ति 1100 रुपये की मांग की। 4400 रुपये में सौदा तय होने के बाद पंडित उन्हें दर्शन कराने मंदिर ले गया, लेकिन कर्मचारियों ने उसकी चलने नहीं दी। 28 मई को छत्तीसगढ़ से आए श्रद्धालु के साथ भस्म आरती अनुमति दिलाने के नाम पर दो हजार रुपये की ठगी का मामला प्रकाश में आया। मंदिर के आउससोर्स कर्मचारी ईश्वर पटेल ने दो हजार रुपए लिए और रफूचक्कर हो गया। 29 मई को उज्जैन निवासी संदीप सक्सेना के साथ भस्म आरती अनुमति दिलाने के नाम पर पं. अरविंद शर्मा ने 5400 रुपये की ठगी की।
29 मई की रात में मंदिर के वीआइपी गेट पर सुरक्षाकर्मियों व दर्शनार्थियों के बीच विवाद हो गया। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने दर्शनार्थियों के साथ मारपीट की। आरोप है कि क्रिस्टल कंपनी के गार्ड दर्शनार्थियों के साथ आए दिन अभद्रता व मारपीट करते हैं लेकिन मंदिर के अधिकारी इनके बचाव में खड़े रहते हैं।