जहां बीजेपी प्रभावी, वहां से कांग्रेस नहीं गुजार रही यात्रा-प्रशांत किशोर
पटना
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने बातचीत में कहा कि चार नेताओं से मिलने से, उनके साथ चाय पीने से जनता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इस मुलाकात से आपके चुनाव लड़ने की क्षमता, आपकी विश्वसनीयता या एक नया नैरेटिव बनाने के संदर्भ में क्या फर्क पड़ेगा.
बिहार में सरकार बदलने का राष्ट्रीय स्तर पर नहीं होगा असर
प्रशांत किशोर ने बिहार में नीतीश का बीजेपी को छोड़कर महागठबंधन में जाने को लेकर कहा कि यह राज्य आधारित घटना है. इसका दूसरे राज्यों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में पहले महागठबंधन की सरकार थी अब एनडीए की सरकार है लेकिन उसका असर बिहार पर तो पड़ा नहीं. उन्होंने कहा कि नीतीशजी के दिल्ली दौरे के जबरदस्ती मायने निकाले जा रहे हैं लेकिन इस घटना का राष्ट्रीय राजनीति पर मैं कोई असर नहीं देखता.
उन्हांने कहा कि 2015 के महागठंधन को जनता ने वोट दिया था.आज जनता ने उन्हें जिताया नहीं है आपने पर्दे के पीछे एक फॉर्मेशन बना लिया. दोनों की चीजों काफी फर्क हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह फॉर्मेशन पूरे देश में लागू होगा.
कुर्सी और नतीशीजी का जोड़ टूटेगा नहीं
चुनावी रणनीतिकार ने महागठबंधन सरकार को लेकर कहा कि नीतीश कुमार जिस समझदारी से मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं, यह 10 साल में छठा फॉर्मेशन है और इसमें एक बात कॉमन है और वह है नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बने रहना. वो कुर्सी है जो जाती नहीं है. फेवीकोल का जोड़ भले टूट जाए लेकिन कुर्सी और नतीशीजी का जोड़ टूटेगा नहीं.
विपक्ष में नीतीश की भूमिका जानना चाहेंगे लोग
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीशजी कल तक बीजेपी के पक्ष में थे. पीएम मोदी को महामानव बता रहे थे. उन्हें 90 डिग्री पर छुककर नमस्कार कर रहे थे. वे आने कार्यकाल में ज्यादातर समय बीजेपी के साथ रहे हैं.
अब एक महीने के बाद वह बीजेपी के खिलाफ लोगों को एकजुट कर रहे हैं. ऐसे में जब वह विपक्षी दल के नेताओं के पास जा रहे हैं तो लोगों में यह जिज्ञासा होगी कि वह आखिर किन वजहों से बीजेपी को छोड़कर आए हैं. विपक्ष में वह अपनी क्या भूमिका देखते हैं.
विश्वसनीय चेहरे के बिना मुलाकात का मतलब नहीं
प्रशांत किशोर ने अरविंद केजरीवाल और केसीआर से नीतीश कुमार की मुलाकात पर कहा कि छोटे दलों की अपने क्षेत्र में भूमिका हो सकती है लेकिन राष्ट्रीय राजनीति पर उनके एकजुट होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि बिना सोच समझी रणनीति, एक संगठन या संगठन का स्वरूप, विपक्ष के विश्वसनीय चेहरे और किसी नैरेटिव के बिना तो इस तरह की मुलाकात का कोई असर नहीं होगा.
विपक्ष के 10 नेताओं से मिले थे नीतीश
बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ विपक्षी एकता की कोशिश में जुटे नीतीश कुमार दिल्ली प्रवास के दौरान 5 सितंबर से लेकर 7 सितंबर तक 10 विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की है. विपक्षी दलों ने नीतीश की कोशिशों का समर्थन किया और पूरा सहयोग का वादा भी किया है. नीतीश कुमार अपने दिल्ली प्रवास के पहले दिन सबसे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की थी, फिर जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी से मिले.
दूसरे दिन नीतीश ने सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई के महासचिव डी राजा से मिले. इसके बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की और फिर इनेलो के ओम प्रकाश चौटाला से मिले.
उसी दिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल और अपने पुराने मित्र शरद यादव से मिले. नीतीश कुमार ने अपने दौरे के तीसरे दिन एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य से मुलाकात की.
जहां बीजेपी प्रभावी, वहां से कांग्रेस नहीं गुजार रही यात्रा
प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यह यात्रा जिन राज्यों से गुजर रही है, अगर उसका रूट देखेंगे तो पता चलेगा कि उन राज्यों में तो बीजेपी और कांग्रेस में सीधी लड़ाई ही नहीं है.
उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ लोगों को जगाना चाहती है तो मुझे लगता है कि कांग्रेस को अपनी यात्रा पहले उन राज्यों से गुजारनी चाहिए, जहां बीजेपी बहुत प्रभावी है. यह तो ऐसा हो गया कि पूर्व में लड़ाई छिड़ी हुई है और सेना पश्चिमी छोर पर तैनात कर दी गई है.