गुलाम अली खटाना को राज्यसभा भेजकर भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में चला बड़ा दांव, मिल सकता है फायदा
श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर भाजपा के नेता और अनुसूचित जनजाति से जुड़े गुर्जर बकरवाल मुस्लिम समुदाय से आने वाले गुलाम अली खटाना को भाजपा ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। इसके जरिए भगवा पार्टी ने अपनी भावी रणनीति के संकेत दिए हैं। जम्मू-कश्मीर में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने के आसार हैं। ऐसे में वहां के सामाजिक समीकरणों को देखते हुए भाजपा ने यह दांव चला है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया, 'भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (एक) के उप-खंड (ए) से मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जो उसी अनुच्छेद के खंड (3) में शामिल है, राष्ट्रपति एक मनोनित सदस्य के सेवानिवृत्त होने से रिक्त हुई जगह को भरने के लिए गुलाम अली को राज्यसभा के लिए नामित करती है।'
भाजपा के बड़े नेताओं ने दी बधाई
गुलाम अली खटाना के राज्यसभा के लिए मनोनीत होने की खबर जारी होने के बाद भाजपा के बड़े नेताओं ने उनको बधाई दी है। पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए यह एक महत्वपूर्ण फैसला है। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी ट्वीट कर गुलाम अली खटाना को बधाई दी है।
राज्य संगठन में लंबे समय से काम कर रहे अली
जितेंद्र सिंह ने ट्वीट करके कहा कि गुलाम अली खटाना जी, राज्यसभा की सदस्यता पाने के योग्य थे, लंबे समय बाद ऐसा हो पाया। आपके लिए राष्ट्र निर्माण में अपनी सर्वोत्कृष्ट भूमिका निभाने का अवसर। मालूम हो कि गुलाम अली खटाना राज्य संगठन में लंबे समय से काम कर रहे हैं और वह सचिव व उपाध्यक्ष रह चुके हैं। गुलाम अली को दिल्ली लाने के फैसले के बाद भाजपा जम्मू-कश्मीर में जम्मू क्षेत्र के बाहर अपनी मजबूत रणनीति पर काम करेगी।
गुलाम अली के नामांकन को अहम क्यों?
गुलाम अली के नामांकन को अहम माना जा रहा है, क्योंकि अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने से पहले इस समुदाय का विधायी निकायों में बहुत कम प्रतिनिधित्व था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद-370 को निरस्त कर दिया था और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था। अनुच्छेद-370 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया था।