November 27, 2024

आम चुनाव में हार से अकेले पड़ गए “नाथ”, विरोध में उठने लगीं आवाजें, जानें क्यों घिरा इंदिरा गांधी का ‘तीसरा बेटा’

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भोपाल
 पूर्व केंद्रीय मंत्री, छिंदवाड़ा से नौ बार के सांसद, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और छिंदवाड़ा से दो बार के विधायक कमल नाथ अपना गढ़ और बेटे की सीट नहीं बचा पाए। इसके बाद से ही वे पार्टी में खुदको अकेला महसूस करने लगे हैं। यही कारण है कि पूर्व में पार्टी में उनके विरोधी गुट सक्रिय हो गए हैं।

पूर्व नेता प्रतिपक्ष और सीधी जिले की चुरहट से विधायक अजय सिंह राहुल भैया ने कमल नाथ पर हमला बोला हैं। इससे कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर सामने दिखने लगी है। अजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश की सभी सीटों में कांग्रेस की हार के पीछे कमल नाथ का आने—जाने का निर्णय नुकसानदायक साबित हुआ।

गौरतलब है कि चुनाव से पहले कमल नाथ के बारे में खबरें आई थीं कि वे भाजपा में शामिल होने वाले हैं, लेकिन बाद में उन्होंने मना कर दिया था। उसके बाद नाथ के करीबी पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना भाजपा में आ गए थे। अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह भी भाजपा में शामिल हो गए थे।

आपको बता दें कि एक बार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी छिंदवाड़ा आई थीं तो एक सभा में उन्होंने कमल नाथ को अपना तीसरा बेटा बताया था। गौरतलब है कि इंदिरा गांधी के दो बेटे संजय गांधी और राजीव गांधी थे। संजय गांधी से पढ़ाई करने वाले कमल नाथ हमेशा ही गांधी परिवार के करीबी रहे, लेकिन वर्ष 2023 के लोकसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद गांधी परिवार से उनकी दूरी हो गई थी।

देश में कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की गठबंधन में हमेशा कमल नाथ की भूमिका बड़े मध्यस्थ की रहती थी, लेकिन इस बार वे कहीं नहीं दिख रहे हैं। इसके दो प्रमुख कारण हैं। पहला कि बेहद प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में उनके बेटे नकुल नाथ चुनाव हार गए। वहीं, लोकसभा चुनाव के पहले कमल नाथ के भाजपा में जाने की अटकलें थीं, इससे भी कांग्रेस और गांधी परिवार नाराज हो गया। इस कारण गांधी परिवार का उन पर भरोसा कम हुआ और राष्ट्रीय स्तर पर कमल नाथ की सक्रियता न के बराबर हो गई।

आपको बता दें कि केंद्र में कांग्रेस कमजोर हुई तो पार्टी ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले कमल नाथ को मध्य प्रदेश भेज दिया था। तब कांग्रेस जीती और वह मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन सरकार 15 महीने ही चल पाई। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में हुए तो 230 में से कांग्रेस महज 66 सीटों पर सिमट गई।

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