अपनी पत्नी से अप्राकृतिक संबंध बनाना अपराध नहीं, पति इस आरोप से बरी
इंदौर
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने 40 साल के एक शख्स को अप्राकृतिक यौन कृत्य करने को लेकर उसकी 31 वर्षीय पत्नी द्वारा लगाए गए आरोप से बरी कर दिया है। मौजूदा कानूनी प्रावधानों और न्याय दृष्टांतों के हवाले से अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि वैवाहिक संबंध बरकरार रहने के दौरान पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ किसी भी यौन कृत्य को बलात्कार नहीं माना जा सकता और ऐसे में सहमति का कोई महत्व नहीं रह जाता, बशर्ते पत्नी 15 साल से कम उम्र की ना हो।
हाई कोर्ट के जस्टिस प्रेमनारायण सिंह की सिंगल बेंच ने 40 वर्षीय व्यक्ति की याचिका 28 मई को आंशिक तौर पर मंजूर की थी जिसमें उसने अपनी पत्नी की पिछले साल दर्ज कराई प्राथमिकी को रद्द करने की गुहार लगाई थी।
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर करने के बाद इस प्राथमिकी में भारतीय दंड विधान की धारा 377 (अप्राकृतिक कृत्य) के साथ ही धारा 294 (गाली-गलौज) और धारा 506 (धमकी देना) के आरोपों को भी रद्द कर दिया, लेकिन धारा 498-ए (किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता) के आरोप को बरकरार रखा। एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि किसी भी सार्वजनिक स्थान पर कोई अश्लील कृत्य नहीं किया गया और शिकायत में आरोपित घटनाएं घर के परिसर के भीतर हुईं।
इसके साथ ही एकल पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उसके इस आदेश में उसका कोई भी नजरिया या टिप्पणी, गुण-दोष के आधार पर कानूनी प्रावधानों के मुताबिक फैसला करने में उस निचली अदालत के लिए किसी भी रूप में बंधनकारी नहीं होगी जो इस मामले की सुनवाई कर रही है।
महिला ने पति के खिलाफ मंदसौर जिले में 2023 के दौरान प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उसके पति और ससुराल पक्ष के लोगों ने 20 लाख रुपए के दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। महिला ने यह आरोप भी लगाया था कि उसके पति ने उसके साथ वर्ष 2022 में अप्राकृतिक यौन कृत्य किया था, जिसके कारण उसे संक्रमण हो गया था और उसे अपना इलाज कराना पड़ा था।
पति ने 28 मई को पत्नी के द्वारा लगाए गए आरोपों को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट की इंदौर बेंच के जस्टिस प्रेम नारायण सिंह की सिंगल बेंच ने आंशिक तौर पर याचिका को स्वीकार किया था. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पत्नी के लगाए गए आरोपों को खारिज किया है. हाई कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377, 294, 506 को रद्द कर दिया है. जिसमें अप्राकृतिक संबंध बनाना, गाली-गलौज करना और धमकी देना शामिल है. हालांकि कोर्ट ने 498ए को बरकरार रखा है जिसमें पति के नातेदार के द्वारा उसके साथ क्रूरता का मामला शामिल है.
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा है कि जो भी यौन व्यवहार किया गया है वह घर के अंदर ही किया गया है, किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं किया है. हालांकि हाई कोर्ट ने निचली अदालत की सुनवाई को जारी रखने की बात कही है और कहा है कि उसका कोई फैसला निचली अदालत के लिए बंधनकारी नहीं होगा.
यह पूरा मामला 2023 में शुरू हुआ था जब एक महिला ने अपने पति के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. एफआईआर में महिला ने पति के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे. महिला ने ससुराल वालों पर 20 लाख रुपये दहेज की मांग करने समेत पति पर अप्राकृतिक संबंध बनाने के आरोप भी लगाए थे. महिला ने रिपोर्ट में कहा था कि पति ने उसके साथ अप्राकृतिक संबंध बनाए थे जिसकी वजह से उसे इंफेक्शन हो गया था और उसे अपना इलाज कराना पड़ा था.