November 24, 2024

लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा को सबसे बड़ा झटका यूपी से लगा, 72 सीटों पर क्यों छिटके हजारों वोटर?

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लखनऊ
 यूपी यानि अनप्रिडक्टिबल, यहां के वोटरों का मन बदलता रहता है। एक चुनाव में जिसे वे सिर-आंखों बिठाते हैं, गड़बड़ होने पर अगले कुछ ही सालों में उसे सबक सिखाने पर तुल जाते हैं। यूपी की फैजाबाद सीट से लेकर पूरे सूबे ने इस बार भाजपा का नंबर एकदम से घटा दिया लोकसभा चुनाव के नतीजों में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा नुक़सान हुआ है। जिस यूपी में बीजेपी ने सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था, जो बीजेपी के लिए सबसे आसान राज्य माना जा रहा था उसी यूपी में बीजेपी की सीटें घटकर आधी रह गई और बीजेपी पूर्ण बहुमत तक नहीं पा सकी।

उत्तर प्रदेश में भाजपा के वोट शेयर में 2019 में 49.6% से इस बार 41.4% तक की भारी गिरावट देखी गई। दोनों बार जिन 75 लोकसभा क्षेत्रों में उसने चुनाव लड़ा, उनमें से 72 में उसे मिले वोटों की संख्या भी कुछ हज़ार से लेकर 2.2 लाख तक कम हुई।

बनारस से लेकर गोरखपुर में घटे वोट

राज्य में डाले गए वोटों की कुल संख्या बढ़ने के बावजूद इस बार उसे यूपी में लगभग 65 लाख कम वोट मिले। जिन निर्वाचन क्षेत्रों में इस बार भाजपा को कम वोट मिले, उनमें पीएम मोदी की सीट वाराणसी, योगी का खुद का गृह क्षेत्र गोरखपुर, राजनाथ सिंह का निर्वाचन क्षेत्र लखनऊ और रामनगरी अयोध्या शामिल हैं।

केवल इन सीटों पर बढ़ा बीजेपी का वोट शेयर

जिन निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा को यूपी में पिछली बार की तुलना में अधिक वोट मिले, उनमें एनसीआर में गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), बरेली और कौशाम्बी थे। इनमें से भी, 2024 में उसका वोट शेयर बरेली में 2019 की तुलना में कम था और अन्य दो सीटों पर थोड़ा अधिक था। पिछली बार यूपी में भाजपा को 8.6 करोड़ से ज़्यादा वोट मिले थे, जिनमें से उसे 4.3 करोड़ से कुछ कम वोट मिले थे। इस बार, जबकि राज्य में डाले गए कुल वोटों की संख्या थोड़ी बढ़कर 8.8 करोड़ से कुछ कम हो गई, भाजपा को 3.6 करोड़ से कुछ ज़्यादा वोट मिले।

हर सीट पर कम हुए 67 हजार वोट

इस गिरावट का एक कारण यह भी था कि उसने पिछली बार जिन तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से तीन सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा – बिजनौर, बागपत और घोसी -लेकिन दोनों चुनावों में उसके द्वारा लड़ी गई 75 सीटों को ही देखें, तो उसके वोट 4.1 करोड़ से घटकर 3.6 करोड़ या लगभग 50 लाख रह गए। यानी हर सीट पर औसतन लगभग 67,000 वोट कम हुए।

इन 12 सीटों पर घटे एक लाख से ज़्यादा वोट

75 सीटों में से, पश्चिम में मथुरा, अलीगढ़, मुज़फ़्फ़रनगर और फतेहपुर सेखड़ी और पूर्व में गोरखपुर सहित 12 सीटों पर भाजपा के वोटों में एक लाख से ज़्यादा की गिरावट आई। अन्य 36 सीटों पर यह गिरावट 50,000 से एक लाख के बीच थी। इनमें अमेठी, रायबरेली, इलाहाबाद, गाजियाबाद, मैनपुरी और वाराणसी शामिल हैं, जहां इस बार पीएम को 60,000 से ज़्यादा वोट कम मिले।

पिछली बार बीएसपी ने इन 75 सीटों में से 8 सीटें जीती थीं। इनमें से इस बार एसपी और कांग्रेस ने छह-छह सीटें जीतीं और चंद्रशेखर ने नगीना जीती। अपने खुद के वोटों में गिरावट का मतलब था कि बीजेपी, बीएसपी की हार का फ़ायदा नहीं उठा पाई और सिर्फ़ अमरोहा ही उससे छीन पाई।

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