महंगाई भत्ते में अफसरों-कर्मियों में भेदभाव का मामला, विधानसभा में गूंजेगा
भोपाल
मंगलवार से शुरू होने वाले विधानसभा के पावस सत्र को लेकर अफसर विधायकों के सवाल और ध्यानाकर्षण के प्रस्तावों के जवाब तैयार करने में जुटे हैं। इस बीच विधायकों ने चुनावी साल में कर्मचारियों से संबंधित मांगों पर फोकस कर विधानसभा के जरिये सरकार से जानकारी मांगी है। विधानसभा में महंगाई भत्ते की राशि के भुगतान में अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ किए जाने वाले भेदभाव और पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव के मानदेय का भुगतान नहीं किए जाने का मसला गूंजने वाला है।
पिछले माह राज्य सरकार ने प्रदेश के प्रथम श्रेणी के अधिकारियों आईएएस, आईपीएस, आईएफएस समेत अन्य को महंगाई भत्ते की स्वीकृत राशि का भुगतान एक जनवरी 2022 से करने का आदेश जारी किया है। इसके बाद से ही प्रदेश के कर्मचारियों व अधिकारियों में आक्रोश है कि सरकार अधिकारी और कर्मचारी में भी भेदभाव कर रही है। इसे कांग्रेस विधायक विधानसभा में उठाने वाले हैं। इसमें कर्मचारियों को आठ माह बाद महंगाई भत्ते की राशि सितम्बर से दिए जाने और इसके पहले का एरियर्स नहीं देकर उनके साथ किए जाने वाले अन्याय को लेकर विधानसभा अध्यक्ष और सरकार का ध्यान आकृष्ट किया जाएगा।
कलेक्टर को आयोग का पेमेंट पर कर्मचारियों तक नहीं पहुंचा पैसा
विधानसभा सत्र के दौरान पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव कराने वाले प्रदेश के साढ़े तीन लाख कर्मचारियों को मानदेय का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। इस मामले में भी विधानसभा में ध्यानाकर्षण के जरिये सरकार से जानकारी मांगे जाने की तैयारी कांग्रेस विधायकों ने की है। इस चुना में ड्यूटी कराने वाले पीठासीन और मतदान अधिकारियों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने मानदेय तय किए थे और कलेक्टरों को राशि भी भेज दी है लेकिन भुगतान नहीं किए जाने से कर्मचारियों में आक्रोश है। पीठासीन अधिकारी को 1200, मतदान अधिकारी क्रमांक एक को 880, मतदान अधिकारी क्रमांक दो व तीन को 660-660 रुपए तथा मतदान अधिकारी क्रमांक चार को 350 और सेक्टर मजिस्ट्रेट को 800 रुपए का भुगतान एक मतदान केंद्र में किए जाने की व्यवस्था आयोग ने तय की है जिसका भुगतान नहीं हुआ है।