November 24, 2024

झारखंड में निशिकांत दुबे प्रबल दावेदारी के बाद भी मंत्री लिस्ट से बाहर, बिहार से सर्वाधिक सवर्ण मंत्री बनना बड़ी वजह

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रांची.

मोदी सरकार 3.0 के मंत्रिमंडल में झारखंड के दो भाजपा सांसदों अन्नपूर्णा देवी और संजय सेठ को जगह मिली है। कोडरमा से सर्वाधिक वोट से जीतने वाली अन्नपूर्णा देवी पूर्ववर्ती मोदी सरकार में केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री थीं, इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वहीं रांची के सांसद संजय सेठ को राज्य मंत्री बनाया गया है। दोनों लोग ओबीसी समुदाय से आते हैं। अन्नपूर्णा देवी जहां यादव समाज से आती हैं वहीं संजय सेठ वैश्य समाज से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इन दोनों सांसदों को मोदी मंत्रिमंडल में स्थान देकर भाजपा ने ओबीसी वोटरों को साधने की कोशिश की है।

झारखंड से मंत्री पद के लिए चार बार के सांसद निशिकांत दूबे का नाम भी चल रहा था। लेकिन माना जा रहा है कि बिहार से सवर्ण नेताओं को जगह मिलने के कारण निशिकांत का पत्ता कट गया। झारखंड भाजपा में अन्नपूर्णा का कद बड़ा कर यादव समाज को साधने की कोशिश की गई है। झारखंड में राजद के कमजोर पड़ने के बाद तकरीबन आठ से दस प्रतिशत आबादी वाले यादव समाज को साथ जोड़ने की नियत से ही पहली बार 2019 में अन्नपूर्णा को मंत्री बनाया गया था। इस बार लोकसभा चुनाव में अन्नपूर्णा देवी ने सर्वाधिक 377014 वोट से जीत दर्ज कर अपने वोट बैंक को साधे रखा। झारखंड में भाजपा वैश्य वोट बैंक को भी साध रही है। वैश्य समाज से पहली बार रांची सांसद संजय सेठ को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। संजय सेठ रांची से दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। भाजपा ने इस बार लोकसभा चुनाव में हजारीबाग से मनीष जायसवाल, धनबाद से ढुलू महतो को टिकट दिया था। इन दोनों ने बड़ी जीत भी दर्ज की है। झारखंड के आठ भाजपा सांसदों में तीन वैश्य समाज से आते हैं। ऐसे में संजय सेठ को मंत्रिमंडल में लाकर इस समाज को जोड़े रखने की कोशिश भाजपा ने की है।

प्रदेश से मांगी गई थी रिपोर्ट
जानकारी के मुताबिक, अन्नपूर्णा देवी के साथ साथ विद्युतवरण महतो, निशिकांत दूबे व वैश्य समाज से आने वाले सांसदों के विषय में जानकारी मांगी गई थी। अन्नपूर्णा देवी का काम पूर्व में बेहतर रहा था, ऐसे में उनका मंत्री बनना तय था। एनडीए कोटे से आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी कुर्मी समाज से हैं, उन्हें बाद में मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किया जा सकता है। वैश्य समाज से आने वाले सांसदों के नाम पर विचार किया गया, जिसके बाद संजय सेठ का नाम तय हुआ।

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