September 26, 2024

भारत ने तिब्बत में कई स्थानों का नाम बदलने का फैसला किया, अरुणाचल वाला बदला लेने को बड़ी तैयारी

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नई दिल्ली
भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तीसरी बार एनडीए सरकार बन चुकी है। इसी बीच खबर है कि सरकार अरुणाचल प्रदेश में चीन की गतिविधियों का जवाब उसी की भाषा में देने जा रही है। भारत ने तिब्बत में कई स्थानों का नाम बदलने का फैसला किया है। मंगलवार को ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पदभार संभाला है। उन्होंने भी चीन के साथ जारी सीमा विवाद को सुलझाने पर ध्यान लगाने की बात कही है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने तिब्बत में 30 स्थानों के नाम बदलने पर मुहर लगा दी है। ये नाम ऐतिहासिक शोध और तिब्बत क्षेत्र के आधार पर ही रखे जाएंगे। खबर है कि भारतीय सेना इन नामों को जारी करेगी और वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC के मैप पर इन नामों को अपडेट कर दिया जाएगा।

खास बात है कि सरकार की तरफ से कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है, जब चीन ने अप्रैल में अरुणाचल प्रदेश के 30 नामों को बदला था। इस फैसले पर भारत की तरफ से भी कड़ा विरोध दर्ज कराया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, नामों की इस लिस्ट में 11 रिहाइशी इलाके, 12 पहाड़, 4 नदियां, 1 झील, 1 पहाड़ी पास और 1 जमीन का टुकड़ा है। चीन की तरफ से बार-बार दावा किया जाने के बाद भी भारत साफ करता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश देश का अभिन्न हिस्सा है।

क्या बोले फिर से कमान संभालने वाले विदेश मंत्री
जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत, चीन के साथ सीमा पर शेष मुद्दों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक समय से जारी सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में काफी तनाव आया है। विदेश मंत्री के रूप में कामकाज संभालने के कुछ ही समय बाद जयशंकर ने पाकिस्तान से होने वाले सीमापार आतंकवाद का जिक्र किया और कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए प्रयास किये जाएंगे।

विदेश मंत्री ने कहा कि 'भारत प्रथम' और 'वसुधैव कुटुम्बकम' भारतीय विदेश नीति के दो दिशानिर्देशक सिद्धांत होंगे। चीन के साथ संबंधों पर जयशंकर ने कहा कि उस देश की सीमा पर कुछ मुद्दे बने हुए हैं और उन्हें सुलझाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ''चीन को लेकर हमारा ध्यान इस बात पर होगा कि बाकी मुद्दों को कैसे सुलझाया जाए।'' भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध जारी है और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। हालांकि, दोनों पक्ष कई टकराव वाले बिंदुओं से पीछे हट गए हैं।

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