September 22, 2024

छत्तीसगढ़-दुर्ग में परिणय सूत्र में बंधे 250 दिव्यांग जोड़े, सीएम विष्णुदेव साय ने दिया आशीर्वाद

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दुर्ग.

प्रदेश के सीएम विष्णुदेव साय आज अखिल भारतीय निर्धन दिव्यांग सामूहिक आदर्श विवाह समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। दुर्ग के बाफना टोल प्लाजा के पास स्थित अग्रसेन भवन में समाजसेवी संस्था आस्था बहुउद्देशीय कल्याण संस्थान द्वारा आयोजित इस सामूहिक आदर्श विवाह में सभी समाज के 250 दिव्यांग जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। इस दिव्यांग विवाह समारोह में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड के अलावा अन्य राज्यों के भी दिव्यांगजन शामिल हुए।

मुख्यमंत्री ने परिणय सूत्र में बंधे दिव्यांग नव दंपत्तियों को उनके सुखमय दाम्पत्य जीवन के लिए आशीर्वाद दिया। इस मौके पर दुर्ग लोकसभा सांसद विजय बघेल, विधायक  ललित चंद्राकर और नगर निगम दुर्ग के महापौर धीरज बाकलीवाल समेत अन्य जनप्रतिनिधि शामिल हुए। सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि आस्था बहुउद्देशीय कल्याण संस्थान का यह आयोजन पुण्य का कार्य है। संस्था लगातार जनकल्याण का कार्य कर रही है। चाहे वह लावारिश लाशों को सद्गति देने का कार्य हो, रक्तदान कार्य हो या दिव्यांगजनों का वैवाहिक कार्यक्रम हो। संस्था से जुड़े सभी पदाधिकारी पुण्य के कार्य में सहभागी हैं। उन्होंने आदर्श विवाह में सम्मिलित होने पहुंचे हुए नवदम्पत्तियों के परिजनों को भी बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर सीएम ने अपने करकमलों से आस्था बहुउद्देशीय कल्याण संस्थान के विकास में उल्लेखनीय योगदान करने वालों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। आस्था बहुउद्देशीय कल्याण संस्थान के संरक्षक दुर्ग सांसद विजय बघेल ने कहा कि यह संस्था विगत 19 वर्ष से दिव्यांगजनों आदर्श विवाह करते आ रही हैं। अब तक 1890 दिव्यांग जोड़े का विवाह संपन्न करायी जा चुकी है। आज यहां पर लगभग 250 से अधिक जोड़ों का विवाह कार्यक्रम संपन्न हुआ है। उन्होंने बताया कि यह संस्था अब तक 1789 लावारिश लाशों को सद्गति प्रदान कर चुकी हैं। इस सामूहिक विवाह में राजनांदगांव, कोरबा, जशपुर, सूरजपुर, सरगुजा जिलों से आए युवक-युवतियों ने संस्था द्वारा कराए जा रहे आदर्श सामूहिक विवाह को सराहा। सामूहिक विवाह में युवतियों को संस्था द्वारा गृहस्थी का सामान थाली, चम्मच, गिलास, पानी टंकी, लोटा, कटोरी उपहार स्वरूप प्रदान किया गया। साथ ही मंगलसूत्र, पायल, बिछिया, साड़ी आदि उपहार के रूप भेट किए गए।

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