September 24, 2024

कर्ज तले दबी बेस्ट ने बीएमसी से 1400 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की मांगी

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मुंबई
 आर्थिक संकट से घिरी बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई ऐंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) ने बीएमसी से 1400 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मांगी है। कुछ दिनों पहले इस मुद्दे पर बीएमसी और बेस्ट के आला अधिकारियों के बीच बैठक भी हुई है। बेस्ट पर अभी क़रीब 6 हज़ार करोड़ रुपये का कर्ज़ है, जिससे बाहर निकलना मुश्किल नज़र आ रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीएमसी ने हमें जितनी रक़म पिछले बजट में देने की घोषणा की, उसके अलावा 1400 करोड़ रुपये की मदद मांगी है। बीएमसी ने बजट 2024-25 में बेस्ट के लिए 800 करोड़ रुपये की मंज़ूरी दी थी। इस राशि की बदौलत बेस्ट को पुर्ज़े खरीदने, इंफ्रास्ट्रक्चर मज़बूत करने, ऋण चुकाने और वेतन इत्यादि रोज़मर्रा के खर्चे निकालने में मदद मिलती है।

हर बार बीएमसी से मदद मांगने के बजाय बेस्ट को अन्य विकल्पों से धन जुटाने की सलाह दी गई है। अधिकारी ने बताया कि बीएमसी अतीत में भी मदद कर चुकी है। अब बसों के किराए में वृद्धि का एक विकल्प बचता है। बीएमसी चाहती है कि किराया वृद्धि पर विचार करना चाहिए। फ़िलहाल एसी बसों का बेसिक किराया 6 रुपये और सामान्य बसों का 5 रुपया है। पिछले क़रीब पांच सालों से यही किराया लिया जा रहा है। अब बेसिक किराए में करीब 2-3 रुपये की वृद्धि संभव है। इस साल मार्च में भी बेस्ट ने किराया वृद्धि के संकेत दिए थे। डेली, साप्ताहिक और मासिक पास की रक़म में हल्की सी वृद्धि की गई थी। मासिक पास के लिए पहले जिस सिंगल यात्रा का टिकट 6 रुपये था, उसकी 150 ट्रिप का किराया 299 रुपये लिया जा रहा था, अब वह 600 रुपये हो चुका है। अनलिमिटेड पास की क़ीमत भी 750 रुपये से बढ़ाकर 900 रुपये कर दी गई है।

डिपो से निकलेगी रकम
बेस्ट ने राजस्व जुटाने के लिए अपने 26 डिपो में से चुनिंदा डिपो का कायाकल्प करने की योजना बनाई है। इसके लिए इंटरनैशनल फायनैंस कॉर्पोरेशन (IFC) की मदद ली जा रही है। ये कॉर्पोरेशन विश्व बैंक ग्रुप का सदस्य है। BEST अपने डिपो का व्यवसायिक उपयोग कर फंड जुटाना चाहती है, ताकि वित्तीय रूप से निर्भर हो सके। बेस्ट डिपो का मॉर्डनाइजेशन कर बेहतर सुविधाएं मुहैया कराना चाहती है, ताकि वित्तीय तौर पर आत्मनिर्भरता मिल सके। अभी दिंडोशी, वडाला और देवनार डिपो का चुनाव किया गया है।

खुद की बसें बनीं बेस्ट के लिए चुनौतीबेस्ट वर्कर्स यूनियन के शशांक शरद राव ने बताया कि बेस्ट में मालिकाना हक़ की बसें अब वेट लीज़ बसों से भी कम हो गई हैं। बेस्ट प्रशासन के पास ख़ुद की कुल 3,337 बसें होनी चाहिए, जबकि अभी पूरी फ्लीट में ही 3,050 बसें हैं। पीक आवर्स में लोगों को बसें नहीं मिल रहीं। पावर कट और केबल फॉल्ट से लोग परेशान हैं। बेस्ट की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं। कर्मचारियों का वेतन चुकाने के लिए फंड जुटाना पड़ रहा है। ऐसे में बेस्ट को बीएमसी के साथ ही मर्ज कर देना चाहिए।

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