ईरान में हिजाब कानून के खिलाफ महिलाओं ने खोला मोर्चा, ड्रेस कोड के खिलाफ प्रदर्शन
तेहरान
ईरान में इन दिनों महिलाएं सड़कों पर हैं और इसकी वजह है यहां का हिजाब कानून। ईरान में हिजाब कानून के तहत महिलाओं को हर कीमत पर अपने बालों को सार्वजनिक स्थल पर ढंक कर रखना होता है। सोशल मीडिया पर आ रहे वीडियोज में साफ नजर आ रहा है कि कैसे महिलाएं देश के कट्टर राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी जो एक मौलाना हैं और जिन्हें देश के हर रूढ़िवादी वर्ग का समर्थन हासिल है, उन्हें देश के युवाओं का गुस्सा झेलना पड़ रहा है। देश के युवा, हिजाब कानून को 'इस्लामिक समाज में नैतिक भ्रष्टाचार को सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ाने का जरिया' बता रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों के चलते यहां पर अथॉरिटीज ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है।
ड्रेस कोड के खिलाफ प्रदर्शन
ईरान में अथॉरिटीज ऐसे लोगों को पकड़ रही हैं जो विरोध प्रदर्शनों का मन बना चुके हैं। इन अथॉरिटीज ने मंगलवार को इसके तहत ही राजधानी तेहरान के आजादी स्टेडियम में 'हिजाब और पवित्रता' का जश्न मनाया। ये एक फुटबॉल स्टेडियम है और यहां पर जो कार्यक्रम हुआ उसमें महिलाओं को हिजाब पहनने के नियम को मानने के लिए प्रोत्साहित किया गया। ईरान के सुरक्षाबल पूरे देश में गश्त लगा रहे हैं और महिलाओं को ड्रेस कोड का पालन करने के लिए कह रहे हैं। वहीं बड़े पैमाने पर ड्रेस कोड के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं।
क्या हैं हिजाब के नियम
ईरान में महिलाओं को अपना सिर हर हाल में कवर रखना होता है। वो किसी भी सूरत में बालों को कवर किए बिना सार्वजनिक स्थल पर नजर नहीं आ सकती हैं। लेकिन ये प्रतिबंध एक प्रशासन से अलग प्रशासन तक अलग-अलग नजर आते हैं। ये प्रतिबंध इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि महिला का राजनीतिक बैकग्राउंड क्या है?
कुछ क्षेत्र, दूसरे क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा स्वतंत्र विचारों वाले हैं। मशाद और कूम प्रांत की महिलाओं पर सख्ती से नजर रखी जाती है। वहीं, तेहरान या फिर शिराज जैसे प्रांत में महिलाएं आसानी से इन नियमों में छूट हासिल कर लेती हैं। पिछले वर्ष रईसी सत्ता में आए थे और तब से हिजाब को लेकर नए नियम आए हैं। नए नियमों में गलत तरीके से हिजाब पहनने वाली महिलाओं को सरकारी ऑफिस, बैंक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में एंट्री देने से इनकार कर दिया जाता है।
4 दशकों से है नियम
पिछले 4 दशकों से ईरान में महिलाएं हिजाब के नियमों को मान रहे हैं। साल 1979 में जब यहां पर क्रांति हुई तो उसके बाद से हिजाब को अनिवार्य कर दिया है। कुछ महिलाएं रंग-बिरंगे स्कार्फ पहनकर और अपने कुछ बालों को दिखाकर इन प्रतिबंधों को आसान बनाने की कोशिशें कर लेती हैं। अथॉरिटीज को इस बात पर सख्त आपत्ति है। उनका मानना है कि ये महिलाएं इस्लामिक देशों के मूलभूत सिद्धांतों को तोड़ने वाली हैं जिसके तहत 'हिजाब और पवित्रता' सबसे ऊपर है।