ग्राम डोंगरा की महिलाओं ने पातालकोट की चिरौंजी को दिलाई नई पहचान
भोपाल
म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन प्रदेश की महिलाओं को सशक्त और आत्म-निर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। छिन्दवाड़ा जिले के जनजाति बहुल तामिया विकासखण्ड की महिलाओं ने स्वयं को तो सशक्त बनाया ही है, तामिया की प्रसिद्ध वनोपज चिरौंजी को पातालकोट चिरौंजी के नाम से एक नई पहचान भी दिलाई है। आज ये महिलायें चिरौंजी प्र-संस्करण यूनिट से चिरौंजी की पैकेजिंग और विक्रय कर अच्छा लाभ कमा रही हैं।
तामिया में चिरौंजी प्र-संस्करण यूनिट के सफल संचालन के बाद ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ कर विकासखण्ड अमरवाड़ा के ग्राम सोनपुर की महिलायें भी चिरौजी प्र-संस्करण का कार्य कर आर्थिक लाभ प्राप्त कर आत्म-निर्भर हो रही हैं। पातालकोट चिरौंजी, आर्डर पर जिले के स्थानीय बाजार के साथ ही भोपाल और गुजरात में भी सप्लाई की जा रही है। महिलाएँ, जीविका पोर्टल से भी चिरौंजी का ऑनलाइन विक्रय कर रही हैं। इसी वर्ष अगस्त माह में छिंदवाड़ा जिले के भ्रमण पर पहुँचे केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह एवं प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने भी अनुसूचित जनजाति बहुल विकासखंड तामिया के ग्राम डोंगरा पहुँच कर चिरौंजी प्र-संस्करण केंद्र का निरीक्षण कर सराहना की और स्व-सहायता समूह की महिलाओं से चर्चा कर उनका हौसला बढ़ाया।
पहले समूह की महिलायें वनों और अपने खेतों से प्रतिवर्ष चिरौंजी की गुठली एकत्रित कर बिचौलियों को कम दाम में बेच देती थीं। इससे उन्हें तो कम लाभ होता था, लेकिन बिचौलिये दोगुना लाभ कमाते थे। इस बारे में जब ग्राम पंचायत कुमड़ी ग्राम डोंगरा के सीता आजीविका ग्राम संगठन में चर्चा हुई तो संगठन द्वारा निर्णय लिया गया कि ग्राम संगठन, चिरौंजी प्र-संस्करण की इकाई स्थापित कर गुठली एकत्रित करेगा और उससे चिरौंजी बना कर पातालकोट चिरौंजी के नाम से पैंकिग कर बाजार में बेचेगा। सीता आजीविका ग्राम संगठन डोंगरा से जुड़े 3 महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि उनके समूह में 32 सदस्य हैं। समूह द्वारा 2 लाख 9 हजार 119 रूपये की लागत से चिरौंजी प्र-संस्करण इकाई की स्थापना की गई है तथा इकाई द्वारा एक लाख 68 हजार 200 रूपये की लागत से 8 क्विंटल 41 किलो 900 ग्राम गुठली खरीदी गई एवं 541 कि.ग्रा. गुठली के प्र-संस्करण में एक लाख 28 हजार 700 रूपये व्यय कर अभी तक 162 कि.ग्रा. चिरौंजी एक लाख 94 हजार 400 रूपये में विक्रय कर 65 हजार 700 रूपये का लाभ प्राप्त किया जा चुका है। समूह के पास वर्तमान में 300 कि.ग्रा.गुठली शेष है।
समूह की महिलाओं द्वारा किए जा रहे इस नवाचार की सर्वत्र सराहना हो रही है। इसका श्रेय ये महिलायें शासन-प्रशासन और ग्रामीण आजीविका मिशन की पूरी टीम को देती हैं। साथ ही अन्य महिलाओं को भी समूह से जुड़ कर आत्म-निर्भर होने के लिये प्रेरित कर रही हैं। महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक स्तर में बदलाव आया है। चिरौंजी प्र-संस्करण का कार्य लगातार जारी है और इसे दिनों-दिन बढ़ानें के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे पातालकोट चिरौंजी की पूरे देश में एक ब्रांड के रूप में पहचान बन सके।