राम मंदिर के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने दावा किया था, दावे को चंपत राय ने किया खारिज
नई दिल्ली
राम मंदिर को लेकर मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने दावा किया था कि पहली ही बारिश में मंदिर की छत से पानी टपक रहा है। उनके इस दावे पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की तरफ बयान जारी किया गया है। उन्होंने साफ किया है कि एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है और न ही गर्भगृह में पानी पहुंचा है। अयोध्या में राम मंदिर में पानी टपकने के आरोपों को चंपत राय ने गलत ठहराते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षा काल के दौरान छत से पानी टपकने के संदर्भ में कुछ तथ्य आपके सामने रख रहा हूं। पहली बात तो यह है कि गर्भगृह में जहां भगवान रामलला विराजमान हैं, वहां एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि दूसरा यह कि गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मंडप है, इसे गूढ़ मंडप कहा जाता है, वहां मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात (भूतल से लगभग 60 फीट ऊंचा) घुम्मट जुड़ेगा और मंडप की छत बंद हो जाएगी। इस मंडप का क्षेत्र 35 फीट व्यास का है। जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढककर दर्शन कराए जा रहे हैं, द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है। रंग मंडप एवं गूढ़ मंडप के बीच दोनों तरफ (उत्तर एवं दक्षिण दिशा में) ऊपरी तलों पर जाने की सीढ़ियां है, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढकेगी।
चंपत राय ने लिखा कि सामान्यतया पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कन्ड्यूट एवं जंक्शन बॉक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं कन्ड्युट को छत में छेद करके नीचे उतारा जाता है, जिससे मंदिर के भूतल के छत की लाइटिंग होती है। ये कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाइट करके सतह में छुपाईं जाती हैं। चूंकि प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है। अतः सभी जंक्शन बॉक्सेज में पानी प्रवेश किया, वही पानी कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा। ऊपर देखने पर यह प्रतीत हो रहा था कि छत से पानी टपक रहा है। जबकि, यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था। उपरोक्त सभी कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा, प्रथम तल की फ्लोरिंग पूर्णतः वाटर टाइट हो जाएगी और किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि फलस्वरूप कन्ड्यूट के जरिए पानी नीचे तल पर भी नहीं जाएगा। मंदिर एवं परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीके से उत्तम प्रबंध किया गया है, जिसका कार्य भी प्रगति पर है। अतः मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी। पूरे श्रीराम जन्मभूमि परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है। श्री राम जन्मभूमि परिसर में बरसात के पानी को अंदर ही पूर्ण रूप से रखने के लिए रिचार्ज पिटो का भी निर्माण कराया जा रहा है। मंदिर एवं परकोटा निर्माण कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कंपनियों लार्सन एंड टर्बो तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मंदिर निर्माण की अनेक पीढ़ियों की परंपरा के वर्तमान उत्तराधिकारी चंद्रकांत सोमपुरा के पुत्र आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख में हो रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है। उत्तर भारत में लोहे का उपयोग किए बिना केवल पत्थरों से मंदिर निर्माण कार्य (उत्तर भारतीय नागर शैली में) प्रथम बार हो रहा है, देश विदेश में केवल स्वामी नारायण परंपरा के मंदिर पत्थरों से बने हैं। भगवान के विग्रह की स्थापना, दर्शन पूजन और निर्माण कार्य केवल पत्थरों के मंदिर में संभव है। जानकारी के अभाव में मन विचलित हो रहा है।
प्राण प्रतिष्ठा दिन के पश्चात लगभग 1 लाख से 1.15 लाख भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं। प्रातः 6.30 से रात्रि 9.30 बजे तक दर्शन के लिए प्रवेश होता है, किसी भी भक्त को अधिक से अधिक एक घंटा दर्शन के लिए प्रवेश, पैदल चलकर दर्शन करना, बाहर निकलकर प्रसाद लेने में लगता है, मंदिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है।