इसरो चीफ ने बताया पूरा प्लान अंतरिक्ष में जोड़े जाएंगे Chandrayaan-4 के पार्ट्स…
नई दिल्ली
चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरकर इतिहास रच दिया था। भारत दुनिया का पहला देश था जिसने इस उपलब्धि को हासिल किया था। 23 अगस्त 2023 की वह तारीख इतिहास बन चुकी है। अब भारत चंद्रयान-4 की तैयारी कर रहा है। इसे लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। इसरो खुशी और दोगुनी करने के लिए बड़े प्लान पर काम कर रहा है। इसरो चीफ सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-4 चांद से सैंपल लेकर वापस धरती पर लौटेगा। इतना ही नहीं यह एक बार में लॉन्च नहीं किया जाएगा। इसे दो हिस्सों में लॉन्चिंग के जरिए चांद की कक्षा में भेजा जाएगा।
अंतरिक्ष में जोड़ा जाएगा चंद्रयान
इसरो चीफ ने कहा कि चंद्रयान-4 को दो हिस्सों में लॉन्च करने के बाद इसे अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा। एक हिस्सा अंतरिक्ष में भेजने के बाद दूसरा हिस्सा लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद दोनों हिस्सों को अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा। अगर ऐसा होता है तो यह दुनिया का पहला ऐसा देश होगा जो इस कारनामे को अंतरिक्ष में पूरा करेगा। बता दें कि चंद्रयान-4 के लैंडर मॉड्यूल को इसरो तैयार कर रहा है। जबकि इसका रोवर जापान द्वारा तैयार किया जा रहा है। चंद्रयान-4 के लिए भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और जापान की JAXA के बीच समझौता हुआ है। इसे 2026 तक चांद में भेजने की तैयारी है।
लैंडिंग साइट को लेकर हुआ बड़ा खुलाया
चंद्रयान-4 की साइट को लेकर भी इसरो ने खुलासा कर दिया है। इसरो ने बताया कि इसकी लैंडिंग साइट शिव-शक्ति पॉइंट पर होगी। चंद्रयान-3 की लैंडिंग भी इसी जगह पर हुई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रयान-3 ने लैंडिंग के बाद चांद पर कई महत्वपूर्ण स्थानों की खोज की थी। जिसकी नए मिशन में काफी मदद मिलने वाली है।
चंद्रयान-4 की लक्ष्य क्या है?
चंद्रयान-4 के जरिए चांद के नमूनों को धरती पर लाया जाएगा। इससे पहले चीन ऐसा कर चुका है। इसरो चीफ ने कहा कि “हमने चंद्रयान-4 की संरचना पर इस तरह से काम किया है कि चंद्रमा से नमूने पृथ्वी पर कैसे लाए जाएं? हम इसे कई प्रक्षेपणों के साथ करने का प्रस्ताव रखते हैं क्योंकि हमारी वर्तमान रॉकेट क्षमता एक बार में ऐसा करने के लिए पर्याप्त (मजबूत) नहीं है।” सोमनाथ ने कहा, “इसलिए, हमें अंतरिक्ष में डॉकिंग क्षमता (अंतरिक्ष यान के विभिन्न भागों को जोड़ना) की आवश्यकता है। इस क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए हमारे पास इस वर्ष के अंत में स्पैडेक्स नामक एक मिशन निर्धारित है।”
यानी स्पेस में चंद्रयान-4 और उसके पार्ट्स को जोड़कर इसरो यह तकनीक और क्षमता भी हासिल कर लेगा कि वह भविष्य में स्पेस स्टेशन भी बना ले. इसलिए चंद्रयान-4 मिशन बेहद जरूरी है. सोमनाथ ने कहा कि जरूरी नहीं कि ये काम दुनिया में पहले न हुआ हो. लेकिन इसरो इसे पहली बार करेगा.
चंद्रयान-4 को एक बार में नहीं करेंगे लॉन्च… ये है वजह
डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा कि हमने चंद्रयान-4 की सारी प्लानिंग हो चुकी है. उसे कैसे लॉन्च करेंगे. कौन सा हिस्सा कब लॉन्च होगा. इसके बाद कैसे उसे स्पेस में जोड़ा जाएगा. फिर उसे कैसे चंद्रमा पर उतारा जाएगा. कौन सा हिस्सा वहीं रहेगा. कौन सा हिस्सा सैंपल लेकर वापस भारत लौटेगा. कई लॉन्चिंग इसलिए करनी पड़ेगी क्योंकि हमारे पास अभी उतना ताकतवर रॉकेट नहीं है. जो चंद्रयान-4 को एक बार में लॉन्च कर सके.
इस साल दिखाएंगे अंतरिक्ष में स्पेसक्राफ्ट जोड़ने की तकनीक
इसरो चीफ ने कहा कि हमारे पास डॉकिंग यानी स्पेसक्राफ्ट के हिस्सों को जोड़ने की तकनीक है. यह काम धरती के अंतरिक्ष या फिर चंद्रमा के अंतरिक्ष दोनों जगहों पर कर सकते हैं. यानी पृथ्वी के ऊपर भी और चंद्रमा के ऊपर भी. हम अपनी इस तकनीक को डेवलप कर रहे हैं. डॉकिंग तकनीक के प्रदर्शन के लिए इसरो इस साल के अंत तक SPADEX मिशन भेजेगा.
चंद्रयान-4 के दो हिस्सों को धरती के ऊपर अंतरिक्ष में जोड़ेंगे
चंद्रमा पर मिशन पूरा करके धरती पर आते समय डॉकिंग मैन्यूवर करना एक रूटीन प्रक्रिया है. हम यह काम पहले भी कर चुके हैं. चंद्रयान के अलग-अलग मिशन में दुनिया ये देख चुकी है. हमने एक स्पेसक्राफ्ट के कुछ हिस्सों का चंद्रमा पर उतारा जबकि एक हिस्सा चांद के चारों तरफ चक्कर लगाता रहा. इस बार उन्हें जोड़ने का काम करके दिखाएंगे. लेकिन हम इस बार धरती की ऑर्बिट में चंद्रयान-4 के दो मॉड्यूल्स को जोड़ने का काम करेंगे.
2035 में बन जाएगा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन… ऐसे होगा ये काम
उन्होंने बताया कि चंद्रयान-4 का रिव्यू, लागत, डिटेल स्टडी हो चुकी है. सरकार के पास अप्रूवल के लिए भेजा है. यह सरकार और इसरो के विजन 2047 का हिस्सा है. इसरो इस प्रयास में है कि 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) बना ले. 2040 तक भारतीय को चंद्रमा पर भेज सके, वह भी अपनी तकनीक और क्षमता से.
पांच अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर बनेगा भारतीय स्पेस स्टेशन
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को कई टुकड़ों में लॉन्च करके अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा. इसका पहला हिस्सा LVM3 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. उम्मीद है कि इसकी पहली लॉन्चिंग 2028 में होगी. इसके लिए अलग से प्रपोजल तैयार किया जा रहा है, जिसे सरकार के पास अप्रूवल के लिए भेजेंगे. भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन पांच अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर बनाया जाएगा. जिस पर हमारे वैज्ञानिक काम कर रहे हैं.