जिस कंधे पर बैठकर दुनिया देखी, उन्हें ही कंधा देना पड़ा, होमगार्ड जवान की बेटियों ने चुकाया कर्ज

पटना
जिस कंधे पर बैठकर दुनिया देखी। उन्हें ही कंधा देना पड़ा। जिन्होंने कभी आंख में आंसू आने नहीं दिया, वही रुला गए। छोटी खंजरपुर की रहने वाली श्रुति और साक्षी के लिए शनिवार का दिन कुछ ऐसा ही दर्द दे गया। दोनों के पिता और होमगार्ड जवान अश्वनी कुमार सिंह (53) का समाहरणालय परिसर में ड्यूटी के दौरान ही अचानक निधन हो गया। दोनों बेटियों ने कंधा देकर घाट तक पहुंचाया। छोटी बेटी साक्षी ने बेटा बन मुखाग्नि देकर दाह संस्कार किया। इससे पहले कंबाइंड बिल्डिंग में जवान के शव को गार्ड ऑफ ऑनर देकर विदाई दी गई। अक्सर लड़िकियों को अपने समाज में कमतर आंका जाता है। लेकिन बेटियां किसी मायने में बेटों से कम नहीं होतीं। समय आने पर हर जिम्मेदारी निभाने को तैयार रहती हैं। अश्विनी कुमार सिंह की बेटियों ने इसे सच साबित कर दिया। इलाके में इन बेटियों के साहस की चारों ओर चर्चा हो रही है। जो भी सुन रहा है वह तारीफ किए बगैर नहीं रह पाता।

सीने में दर्द की थी शिकायत, अस्पताल पहुंचाया पर नहीं बचे
होमगार्ड जवान के परिजनों ने बताया कि ड्यूटी के दौरान ही शनिवार की अहले सुबह लगभग तीन बजे उन्होंने सीने में दर्द होने की बात कही। वहां मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें तुरंत मायागंज पहुंचाया। वहां डॉक्टर ने बताया कि उनके हार्ट में ब्लॉकेज हो गया है। उसके बाद परिजन पहुंचे और उन्हें निजी क्लीनिक में भर्ती कराया। वहां भी कुछ नहीं हो सका। आखिरकार जवान ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। पिता की मौत से स्नातक में पढ़ने वाली उनकी बड़ी बेटी श्रुति, छोटी बेटी साक्षी और पत्नी रंजू कुमारी का हाल बेहाल था। लेकिन पिता को खोने का गम झेलकर बेटियों ने अपना फर्ज निभाया।

विभाग की तरफ से सहायता मिलेगी
होमगार्ड जवान की मौत पर कमांडेंट हरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जवान की मौत पर परिजनों को शव के दाह संस्कार के लिए तुरंत 15 हजार रुपये उपलब्ध करा दिया गया है। उन्होंने कहा कि अनुकंपा का भी प्रावधान है इसलिए वंशावली की मांग की जाएगी। उन्होंने बताया कि मृतक जवान की पत्नी को दो साल तक प्रत्येक महीने दो हजार रुपये और एक मुश्त चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी।

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