मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच हुई नए रिश्तों की शुरुआत, पर्यटन को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णयों पर समझौता
भोपाल
मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच रविवार को नए रिश्तों की शुरुआत हुई है। दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्री ने आपस में कई समझौते ऐतिहासिक समझौते किए। ये निर्णय आने वाले समय में दोनों राज्यों के विकास और रिश्तों को नई उंचाईयों पर लेकर जाएंगे। एमपी की मोहन सरकार और राजस्थान की भजनलाल सरकार मिलकर पर्यटन स्थलों का संयुक्त रूप से विकास करेंगी।
इस एमओयू में दोनों सरकारें मिलकर एक सर्किट का निर्माण करेंगी। इसके तहत राजस्थान के खाटू श्याम जी, नाथद्वारा, महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन और ओंकारेश्वर के मध्य एक आध्यात्मिक कॉरिडोर बनाया जाएगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा के बीच हुई वार्ता में अन्य कई विषयों पर भी सहमति बनी। दोनों राज्यों के पवित्र नगरों को आपस में जोड़ने के लिए वंदेभारत ट्रेन और इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएगी। दोनों मुख्यमंत्रियों ने रविवार को भोपाल में आयोजित संयुक्त बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इस एमओयू के अंतर्गत दोनों राज्य मिलकर श्रीकृष्ण गमन पथ का भी निर्माण करेंगे। इससे दोनों राज्यों के लोगों को देवदर्शन करना आसान होगा। साथ ही दोनों राज्यों के पर्यटन को भी उन्नति मिलेगी।
चंबल-पार्वती-कालीसिंध नदी परियोजना पर एमओयू
मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए बहुउपयोगी और महत्वपूर्ण चंबल-पार्वती-कालीसिंध परियोजना पर निर्णय लिया गया। दोनों राज्यों के बीच परियोजना के क्रियान्वयन के लिए एमओयू हुआ है। इस समझौते के कारण ही मुरैना, ग्वालियर,श्योपुर, राजगढ़ सहित 13 जिलों में पीने के पानी और सिंचाई की सुविधाएं बढ़ाई जा सकेंगी। पानी की एक-एक बूंद का राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में उपयोग होगा।
72 हजार करोड़ रूपये की योजना
चंबल-पार्वती-कालीसिंध नदी परियोजना से दोनों राज्यों के विकास में नई इबारत लिखी जाएगी। यह 72 हजार करोड़ रूपये की योजना है। वर्ष 2026 में मध्यप्रदेश में 65 लाख हेक्टेयर में सिंचाई का लक्ष्य है। इस परियोजना से लगभग 4 लाख हेक्टयर में सिंचाई होगी। राजस्थान में 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होगी।
मध्यप्रदेश और राजस्थान एमओयू की खास बातें
पर्यटन क्षेत्रों का संयुक्त विकास के साथ साथ श्री कृष्ण गमन पथ निर्माण, खाटू-श्याम जी, नाथद्वारा, उज्जैन, ओंकारेश्वर के मध्य वन्दे भारत ट्रेन व इलेक्ट्रिक बस का संचालन किया जाए। राजस्थान एमपी की खनन नीति को अपनाकर राजस्व में वृद्धि कर सकता है। वहीं बजरी का प्रयोग बंद कर स्टोन डस्ट और एम सैण्ड के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। आयुर्वेद, आयुष और पंचकर्म पर्यटन को बढ़ावा देने के संयुक्त प्रयास किए जाएंगे। इसके अलावा मध्यप्रदेश पर्यटन की होटल आऊटसोर्सिंग पॉलिसी को राजस्थान अपना सकता है। एमपी और राजस्थान के बीच अफीम, डोडा चूरा से जुड़े अपराधियों का डेटाबेस साझा किया जा सकता है।नीलामी पॉलिसी में एकरूपता लाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त दोनों राज्यों की सीमा पर बने मेडिकल कॉलेजों की स्थिति और दूरी का युक्ति करण किया जा सकता है। वहीं कूनो से लगे राजस्थान के वन क्षेत्रों को मिलाकर एक संयुक्त बड़ा राष्ट्रीय पार्क बनाया जा सकता है।