November 24, 2024

एक ही स्कूल के दो दोस्त बने आर्मी और नेवी के चीफ, दोनों के रोल नंबर में था इतना अंतर

0

रीवा

 भारत के सैन्य इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सेना और नौसेना प्रमुख एक ही राज्य, स्कूल और बैच से हैं। वास्तव में, वे कक्षा में एक ही बेंच पर बैठते थे।कार्यभार संभालने वाले थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी सैनिक स्कूल रीवा (1973 बैच) के पूर्व छात्र हैं। उनकी कहानी खून के रिश्ते से परे भाइयों जैसी है। वे सेना प्रमुख जनरल यू द्विवेदी (बाएं) और नौसेना प्रमुख एडमिरल डी के त्रिपाठी कक्षा 5 से दोस्त हैं और एनडीए में एक साथ कठिन प्रशिक्षण से गुजरे हैं।

जनरल रैंक के हैं 25 छात्र

रीवा सैनिक स्कूल ने 700 से अधिक सैन्य अधिकारी तैयार किए हैं, जिनमें कम से कम 25 जनरल रैंक के हैं, जिनमें से दो अब चार सितारा सेवा प्रमुख हैं। सैनिक स्कूल रीवा के सीनियर मास्टर डॉ आरएस पांडे ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि यह हमारे लिए, हमारे स्कूल और हमारे राज्य के लिए बहुत गर्व का क्षण है। यह पहली बार है कि सशस्त्र बलों के दो विंग के प्रमुख सहपाठी और स्कूल के साथी हैं और एक ही राज्य से हैं।

स्कूल के प्रिंसिपल को मिला न्यौता

वहीं, स्कूल के प्रिंसिपल को उस समारोह में आमंत्रित किया गया था जहां जनरल द्विवेदी ने भारत की 1.3 मिलियन की मजबूत आर्मी का कार्यभार संभाला था। उनके कई सहपाठी भी वहां मौजूद थे। जनरल और एडमिरल के सहपाठी प्रोफेसर अमित तिवारी ने रविवार को हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को फोन पर बताया कि हमारा बैच बहुत ही घनिष्ठ परिवार है। यहां तक कि आज भी हममें से 18 लोग यहां हैं क्योंकि हमारे बैचमेट और मित्र जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सेनाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला है।

931 था सेना प्रमुख का रोल नंबर

उन्होंने कहा कि मेरा रोल नंबर 829 था, उपेंद्र का 931 और दिनेश का 938 था। रीवा में स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के पूर्व डीन और वर्तमान में टीआरएस कॉलेज-रीवा में कार्यरत प्रोफेसर तिवारी ने कहा कि वे दोनों बहुत अनुशासित, अत्यधिक केंद्रित और विवादों से दूर रहते थे। वे कभी किसी गुटबाजी का हिस्सा नहीं रहे, जो स्कूल के दिनों में सामान्य बात है।

शानदार रहा है करियर रेकॉर्ड

लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के स्कूल रिकॉर्ड के अनुसार वे एक औसत छात्र थे। बचपन में शरारती और जम्मू-कश्मीर राइफल्स में एक युवा इन्फैंट्री अधिकारी के रूप में आक्रामक लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने अपने शानदार सैन्य करियर में बहुत महत्वपूर्ण पद संभाले, ऑपरेशन रक्षक में एक बटालियन की कमान संभाली और डायरेक्टर जनरल-इन्फैंट्री बनने से पहले ऑपरेशन राइनो में एक सेक्टर की कमान संभाली।

समय के पाबंद हैं दोनों

वहीं, सेना प्रमुखों के बैचमेट कहते हैं कि दोनों बहुत विनम्र और समय के पाबंद थे जो कभी भी ऊंची आवाज में कुछ नहीं कहते थे, लेकिन अपनी बात हमेशा रखते थे। साथ ही, वे दोनों अपने अल्मा मेटर से जुड़े रहे हैं।

स्कूल में खुशी की लहर

स्कूल के अपने अंतिम दौरे में जनरल द्विवेदी ने कहा था कि अन्य स्कूल छात्रों को केवल क्षमता प्रदान करते हैं, हालांकि यह स्कूल 'दृष्टिकोण और अनुकूलनशीलता' देता है, जो एक अच्छे और प्रभावी नेता होने के लिए एक शर्त है। मई में एडमिरल त्रिपाठी के नौसेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से स्कूल जश्न के मूड में है। जनरल द्विवेदी की पदोन्नति ने खुशी को दोगुना कर दिया है। इससे छात्र अत्यधिक प्रेरित हैं।

स्कूल के बच्चों को उनके करियर के बारे में बताएंगे

पांडे ने कहा कि हम बच्चों को दोनों सेवा प्रमुखों के जीवन और करियर के बारे में बताने की योजना बना रहे हैं। 1990 में पहली बार तीनों सेवाओं के प्रमुख राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में एक ही कोर्स से थे। चौंतीस साल बाद, स्कूल के साथी भारत की रक्षा की दो शाखाओं की कमान संभाल रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *