November 24, 2024

भारत ने नया विस्फोटक विकसित किया जो टीएनटी से 2.01 गुना ज्यादा घातक, दुनिया में मचेगी खरीदने की होड़

0

नई दिल्ली
 रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत लगातार नए-नए आयाम हासिल कर रहा है। ताजा उपलब्धि से न केवल भारतीय सेना की मारक क्षमता में भारी इजाफा होने जा रहा है बल्कि रक्षा निर्यात के क्षेत्र को भी पंख लगने की पूरी उम्मीद है। यह उपलब्धि बेहद घातक विस्फोटक बनाने में हासिल हुई है।भारत ने SEBEX 2 नामक विस्फोटक तैयार कर इसका सफल परीक्षण भी कर लिया है। इस विस्फोटक के बारे में इतना कहा जा सकता है कि यह परमाणु आधारित नहीं है, लेकिन इसकी विनाशकारी क्षमता बहुत अधिक है। कोई विस्फोटक कितना घातक है, इसका आकलन टीएनटी (ट्राइनाइट्रोटोलुइन) के आधार पर किया जाता है। टीएनटी एक मानक है जिसके अनुसार तय होता है कि किसी विस्फोटक में कितनी तबाही करने की क्षमता है। इस पैमाने पर सेबेक्स 2 की क्षमता दोगुने से भी थोड़ा ज्यादा है।

सबसे ताकतवर विस्फोटक जो परमाणु आधारित नहीं है

भारत के सेबेक्स 2 का परफॉर्मेंस इतना हाई है कि यह दुनिया के सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु विस्फोटकों में से एक बन गया है। नौसेना ने सेबेक्स 2 का व्यापक परीक्षण करने के बाद इसके इस्तेमाल के लिए ओके कर दिया है। नई विधि से तैयार विस्फोटक सेबेक्स 2 की खासियत यह है कि यह बिना वजन बढ़ाए बम, तोपखाने के गोले और वॉरहेड्स की विनाशकारी शक्ति में जबर्दस्त वृद्धि के साथ क्रांति लाने में सक्षम है। इसी वजह से इसकी पूरी दुनिया में मांग हो सकती है। यानी, भारत के लिए रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक नया बाजार खुलने जा रहा है। दरअसल, दुनिया भर की ताकतें मौजूदा हथियार प्रणालियों को ज्यादा से ज्यादा घातक बनाने में जुटी हुई हैं।

वजन वही, विनाश की क्षमता नई

नौसेना ने SEBEX 2 का मूल्यांकन, परीक्षण और प्रमाणन रक्षा निर्यात संवर्धन योजना के तहत किया है। अधिकारियों ने कहा, 'विस्फोटक के विकास से इस्तेमाल में आने वाले हथियारों और गोला-बारूद की क्षमता एवं दक्षता बढ़ेगी।' उन्होंने कहा कि फाइनल सर्टिफिकेशन पिछले सप्ताह पूरा हो गया था। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि जितनी ज्यादा टीएनटी, विस्फोटक उतना ही घातक होता है। भारत में अभी इस्तेमाल किया जा रहा सबसे शक्तिशाली पारंपरिक विस्फोटक ब्रह्मोस मिसाइल के वॉरहेड में इस्तेमाल हो रहा है। यह लगभग 1.50 के टीएनटी का है। वहीं, दुनिया भर में पारंपरिक वॉरहेड में इस्तेमाल किए जाने वाले अधिकांश विस्फोटकों की टीएनटी तुल्यता 1.25-1.30 होती है।

मेक इन इंडिया की बल्ले-बल्ले

सूत्रों ने बताया कि इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (ईईएल) ने 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत तेजी से पिघलने वाले विस्फोटक (एचएमएक्स) के कंपोजिशन के आधार पर सेबेक्स 2 को तैयार किया है। यह कंपोजिशन 'वॉरहेड्स की विनाशकारी क्षमता, हवा से गिरा जाने वाले बम, तोपखाने के गोले और अन्य युद्ध सामग्री की मारक क्षमता में बहुत इजाफा करेगी, जो लक्ष्यों को नुकसान पहुंचाने के लिए विस्फोट और विखंडन प्रभाव का उपयोग करते हैं।' ईईएल एक अन्य वैरिएंट पर भी काम कर रहा है, जिसमें विस्फोटक शक्ति टीएनटी से 2.3 गुना अधिक होगी। ईईएल को विश्वास है कि यह छह महीने के भीतर तैयार हो जाएगा।

सिटबेक्स 1

नौसेना ने कंपनी के पहले थर्मोबैरिक विस्फोटक को भी सर्टिफाई किया है, जिसका इस्तेमाल हाल के संघर्षों में युद्ध के मैदान में बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया है। सिटबेक्स 1 भीषण गर्मी पैदा करने के साथ लंबे समय तक विस्फोट करता रहता है, जिससे यह दुश्मन के बंकरों, सुरंगों और अन्य किलेबंद ठिकानों को नष्ट करने के लिहाज से बेजोड़ हो जाता है।

सिमेक्स 4

नौसेना से सर्टिफाइड तीसरा विस्फोटक सिमेक्स 4 है, जो एक असंवेदनशील हथियार है जो मानक विस्फोटकों की तुलना में भंडारण, परिवहन और संचालन के लिए अधिक सुरक्षित है। नए फॉर्मूलेशन में अचानक विस्फोट की संभावना बहुत कम है और इसका उपयोग उन जगहों पर किया जा सकता है जहां सुरक्षा सर्वोपरि है। पनडुब्बी की छोटी जगह पर रखे गए टारपीडो वॉरहेड्स भी इसी श्रेणी में आते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *