November 25, 2024

LAC का सम्मान जरूरी; चीनी विदेश मंत्री को जयशंकर का दो टूक

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नई दिल्ली

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी गतिरोध के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों ही मंत्रियों ने सीमा क्षेत्रों में बाकी मुद्दों के शीघ्र समाधान के लिए प्रतिबद्धता दोहराई। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष सीमा मुद्दों को हल करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से प्रयास बढ़ाने पर सहमत हुए।

एस जयशंकर ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करना और सीमा क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी सम्मान के तीन सिद्धांत भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेंगे।

एलएसी को लेकर हुई दोनों देशों के बीच बात
विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि बॉर्डर में मौजूदा स्थिति का लंबा खिंचना दोनों पक्षों के हित में नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईस्टर्न लद्दाख के उन एरिया में भी पूरी तरह डिसइंगेजमेंट पर जोर दिया जहां अभी भी भारत और चीन के सैनिक आमने सामने हैं। बातचीत में कहा गया कि पूरी तरह डिसइंगेजमेटं और सीमा पर सीमा पर शांति और स्थिरता बहाल करने के प्रयासों में और तेजी लानी होगी ताकि द्विपक्षीय संबंध जल्द सामान्य हो सकें। उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि दोनों सरकारों के बीच हुए द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल और समझौतों का पूरी तरह पालन अहम है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का सम्मान किया जाना चाहिए और बॉर्डर एरिया में हमेशा शांति और स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

सैन्य अधिकारियों की मीटिंग्स को जारी रखने पर सहमति
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने अपने कूटनीतिक और सैन्य अधिकारियों की मीटिंग्स को जारी रखने पर सहमति व्यक्त की ताकि बचे हुए मुद्दों को जल्द से जल्द हल किया जा सके। इसके लिए WMCC यानी वर्किंग मेकेनिजम फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन की मीटिंग जल्द बुलाने पर भी सहमति जताई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन संबंध आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों का पालन करने से मजबूत हो सकते हैं। दोनों मंत्रियों ने वैश्विक स्थिति पर भी बातचीत की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगले साल चीन की SCO की अध्यक्षता के लिए भारत का समर्थन भी व्यक्त किया।

मई 2020 में हुआ था दोनों देशों के बीच तनाव
मई 2020 में ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव शुरु हुआ था, जब चीनी सैनिक कई जगहों पर काफी आगे आ गए थे। तब से अब तक गतिरोध खत्म करने के लिए WMCC की दो दर्जन से ज्यादा मीटिंग हो चुकी हैं और कोर कमांडर स्तर की 21 राउंड मीटिंग हो चुकी हैं। हर मीटिंग के बाद दोनों तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि दोनों पक्ष गतिरोध को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और लगातार बातचीत जारी रहेगी साथ ही दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर शांति बनाए रखने पर राजी हैं।

चार जगहों पर आगे आ गई थी चीनी सेना
ईस्टर्न लद्दाख में जब तनाव शुरू हुआ तो चीनी सैनिक चार जगहों पर आगे आ गए थे, जिसके बाद भारतीय सेना ने भी अपनी तैनाती बढ़ाई और चीनी और भारतीय सैनिक एकदम आमने सामने डटे हुए थे। दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत के बाद उन सभी चार जगहों से दोनों देशों के सैनिक पीछे हो गए। यानी वह अब वहां पर आमने सामने नहीं हैं। सबसे पहले पैंगोंग एरिया यानी फिंगर एरिया और गलवान में पीपी-14 में डिसइंगेजमेंट हुआ यानी दोनों देशों के सैनिक आमने सामने से हटकर पीछे गए। फिर गोगरा में पीपी-17 से सैनिक हटे और फिर गोगरा-हॉट स्प्रिंग एरिया में पीपी-15 से सैनिक हटे।

जिन जगहों पर डिसइंगेजमेंट हुआ वहां पर नो-पेट्रोलिंग जोन बने हैं। यानी जब तक दोनों देश मिलकर कुछ रास्ता नहीं निकाल लेते तब तक इन चारों जगहों पर 1 किलोमीटर से लेकर 3 किलोमीटर तक का एरिया नो-पेट्रोलिंग जोन है यानी यहां कोई पेट्रोलिंग (गश्ती) नहीं करेगा। इन चारों जगहों पर जहां दोनों देशों के सैनिक आमने सामने थे वह कुछ किलोमीटर पीछे गए, इसे डिसइंगेजमेंट कहा जाता है यानी वे फिलहाल ऐसी स्थिति में नहीं है कि तुरंत झड़प की नौबत आ जाए। हालांकि दोनों देशों के सैनिक अपने अपने इलाके में पीछे की तरफ बढ़ी संख्या में तैनात हैं। डेपसांग और डेमचॉक दो ऐसे पॉइंट हैं जहां अब भी विवाद बना हुआ है। हर मीटिंग में इन दो पॉइंट को लेकर बातचीत हो रही है। हर मीटिंग में भारत की तरफ से यहां पर पहले की तरह स्थिति बहाल करने को कहा जाता रहा है।

उन्होंने एक्स पर लिखा, "आज सुबह अस्ताना में सीपीसी पोलित ब्यूरो के सदस्य और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। सीमा क्षेत्रों में शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान पर चर्चा की। उस लक्ष्य के लिए कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से प्रयासों को दोगुना करने पर सहमति हुई। एलएसी का सम्मान करना और सीमा क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करना आवश्यक है। आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित हमारे द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेंगे।"

 

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