November 12, 2024

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने रेलगाड़ियां चलाने वाले लोको पायलटों से मुलाकात की

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नई दिल्ली
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को रेलगाड़ियां चलाने वाले लोको पायलटों से मुलाकात की और उन्हें विश्वास दिलाया कि वह ‘रेलवे के निजीकरण' और भर्तियों की कमी का मुद्दा उठाएंगे। कांग्रेस के अनुसार, उसके पूर्व अध्यक्ष दोपहर के समय नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पूरे भारत के लगभग 50 लोको पायलट से मिले। इस मुलाकात के दौरान लोको पायलटों ने बताया कि उन्हें आराम करने का पूरा समय नहीं मिलता। कांग्रेस ने इस मुलाकात का वीडियो एवं तस्वीर भी जारी की।

पार्टी के अनुसार, लोको पायलटों की शिकायत है कि वे लंबी दूरी की रेलगाड़ियां चलाते हैं और अक्सर पर्याप्त विराम के बिना उन्हें फिर ड्यूटी पर भेज दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इससे अत्यधिक तनाव होता है और एकाग्रता में कमी आती है जो दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण है। कांग्रेस ने कहा कि विशाखापत्तनम में दुर्घटना की हालिया जांच सहित कई रिपोर्ट में इस बात को रेलवे द्वारा स्वीकार किया गया है।

पार्टी ने कहा, ‘‘लोको पायलटों की मांग है कि उन्हें साप्ताह में 46 घंटे का आराम मिले। इसका मतलब यह है कि शुक्रवार दोपहर को घर लौटने वाला ट्रेन चालक रविवार की सुबह से पहले ड्यूटी पर लौट आएगा। रेलवे अधिनियम 1989 और अन्य नियमों में पहले से ही प्रति सप्ताह 30 जमा 16 घंटे आराम का प्रावधान है, जिसे लागू नहीं किया जा रहा है। हवाई जहाज के पायलटों को भी आम तौर पर इतनी ही छूट मिलती है।''

कांग्रेस का कहना है कि लोको पायलट की यह भी मांग है कि लगातार दो रात की ड्यूटी के बाद एक रात का आराम होना चाहिए और ट्रेनों में चालकों के लिए बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए। राहुल गांधी और लोको पायलट की इस मुलाकात के दौरान यह मुद्दा भी उठा कि ‘‘सरकार द्वारा लोको पायलटों की सभी भर्ती रोक देने के और कर्मचारियों की कमी के कारण (उन्हें) कम आराम मिल पात है।''

कांग्रेस ने कहा, ‘‘पिछले चार वर्ष में, रेलवे भर्ती बोर्ड ने हजारों रिक्तियों के बावजूद एक भी लोको पायलट की भर्ती नहीं की। पायलटों ने आशंका जताई कि यह जानबूझकर उठाया गया कदम मोदी सरकार की रेलवे का निजीकरण करने की योजना है।'' राहुल गांधी ने लोको पायलटों को बताया कि वह रेलवे के निजीकरण और भर्ती की कमी का मुद्दा लगातार उठाते रहे हैं। कांग्रेस ने कहा, ‘‘राहुल गांधी ने उनकी चिंताओं को सुना और पर्याप्त आराम की उनकी मांग का पूरा समर्थन किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे दुर्घटनाओं में काफी कमी आएगी। उनकी मांगों को सरकार के समक्ष उठाने का विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने वादा किया।''

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