September 27, 2024

CM केजरीवाल की याचिका पर आज SC सुनाएगा फैसला, शराब घोटाले मामले में गिरफ्तारी को दी है चुनौती

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नई दिल्ली
 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा। उन्होंने ईडी की ओर से गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी है। आज न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट 17 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया कि हवाला चैनलों के माध्यम से आम आदमी पार्टी (आप) को पैसे भेजे जाने के सबूत हैं।

सुबह 10:30 बजे आएगा बेल पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई शुरू होने वाली है। कोर्ट में इस वक्त ईडी के वकील और दिल्ली सीएम के वकील पहुंच गए हैं। बता दें कि सुबह 10.30 बजे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर फैसला आएगा। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ मामले की सुनवाई करेंगे।

ई़डी ने कोर्ट को दिए थे सबूत
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया कि हवाला चैनलों के माध्यम से आम आदमी पार्टी (आप) को पैसे भेजे जाने के सबूत हैं। राजू के अनुसार, ईडी को अपराध की आय के संबंध में केजरीवाल और हवाला ऑपरेटरों के बीच चैट मिली है। केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ईडी की सामग्री को चुनौती देते हुए कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के दौरान यह उपलब्ध नहीं थी। 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी। हालांकि, अदालत ने आदेश दिया कि उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जाना चाहिए। पीठ ने केजरीवाल को 2 जून को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था और उन्होंने इस आदेश का पालन किया।

दिल्ली हाई कोर्ट में भी हुई थी बहस
सर्वोच्च न्यायालय में केजरीवाल की याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील है, जिसमें आबकारी नीति मामले में ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। अपनी अपील में केजरीवाल ने तर्क दिया कि आम चुनावों की घोषणा के बाद उनकी गिरफ्तारी बाहरी विचारों से प्रेरित थी। 9 अप्रैल को हाई कोर्ट ने केजरीवाल की रिहाई की याचिका खारिज कर दी और आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक प्रतिशोध के उनके तर्क को खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि छह महीने में ईडी के नौ समन से केजरीवाल की अनुपस्थिति ने मुख्यमंत्री के रूप में उनके विशेषाधिकार के दावों को कमजोर कर दिया, यह सुझाव देते हुए कि उनकी गिरफ्तारी असहयोग का परिणाम थी।

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