अरमेनिया और अजरबैजान की झड़प में मरे 100 सैनिक; पुतिन ने दिया दखल
येरेवन
यूक्रेन और रूस के बीच जंग अभी चल ही रही है कि इस बीच अरमेनिया और अजरबैजान के बीच भी भीषण युद्ध का खतरा पैदा हो गया। दोनों देशों के सैनिकों की मंगलवार को सीमा पर झड़प हो गई, जिसमें दोनों तरफ के मिलाकर करीब 100 सैनिक मारे गए हैं। अरमेनिया का कहना है कि इस खूनी झड़प में उसके 49 सैनिकों की मौत हुई है, जबकि अजरबैजान ने भी 50 सैनिकों के मारे जाने की बात कबूल की है। यह संघर्ष तब छिड़ा, जब अजरबैजान की सेना ने अरमेनियाई इलाके को निशाना बनाते हुए ड्रोन अटैक किए और फायरिंग शुरू कर दी। अरमेनिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि फायरिंग ज्यादा तेज नहीं थी, लेकिन पीछे से अजरबैजान के सैनिक उनके इलाके में बढ़ते आ रहे थे।
ऐसे में उनके ऐक्शन के जवाब में अरमेनियाई सैनिकों ने भी फायरिंग शुरू कर दी। वहीं अजरबैजान ने आरोप लगाया है कि उकसावे की कार्रवाई अरमेनिया की ओर से की गई थी। अरमेनियाई सैनिकों ने सोमवार रात और फिर मंगलवार की सुबह हमले बोले थे। अजरबैजान ने कहा कि अरमेनियाई सैनिकों ने माइन्स प्लांट की हुई थीं और अजरबैजान की सीमा चौकियों पर हमले भी किए थे। दोनों देशों के बीच कई दशकों से नागोरनो-कराबाख पर टकराव रहा है। इस इलाके पर अजरबैजान भी अपना दावा करता है, लेकिन 1994 में हुए अलगाववादी युद्ध के बाद से ही यह अरमेनिया के कब्जे में है।
दोनों देशों के बीच 2020 में भी भीषण युद्ध हुआ था, जो 6 सप्ताह तक चला था। इस युद्ध में करीबी 6 लोगों की मौत हुई थी और रूस के दखल के बाद ही विवाद समाप्त हुआ था। मॉस्को की ओर से इलाके में शांति व्यवस्था की बहाली के लिए 2,000 सैनिकों को पीसकीपिंग मिशन के तहत तैनात किया गया था। इस बीच अमेरिका और रूस दोनों ने ही अजरबैजान और अरमेनिया से शांति बहाली की अपील की है। दरअसल रूस के अरमेनिया के साथ गहरे सैन्य ताल्लुक हैं। रूस का अरमेनिया में मिलिट्री बेस भी है। इसके अलावा तेल के मामले में समृद्ध अजरबैजान से भी रूस के अच्छे रिश्ते हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच रूस अच्छे रिश्तों का पक्षधर रहा है।