राजस्थान-चित्तौड़गढ़ में मंदबुद्धि युवती से दुष्कर्म, न्यायालय ने सुनाया 10 साल का कठोर कारावास
चित्तौड़गढ़.
मंदबुद्धि युवती के अकेलेपन का फायदा उठाकर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले अधेड़ उम्र के अभियुक्त को न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्रमांक 2 , चित्तौड़गढ़ के न्यायाधीश विनोद कुमार बैरवा ने 10 साल के कठोरतम कारावास व 30 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अपर लोक अभियोजक अब्दुल सत्तार खान ने बताया कि पीड़िता की माता ने जिला पुलिस अधीक्षक चित्तौड़गढ़ के यहां पेश होकर 12 जून 2019 को परिवाद दिया था। इसमें उसने बताया था कि उसकी 23 वर्षीय पुत्री (पीड़िता) मानसिक रूप से मंदबुद्धि है।
इस कारण उसे घर पर ही छोड़कर परिवार वाले खेत व कुएं पर काम करने के लिए जाते हैं। पीड़िता दिन में अकेली घर पर रहती है। प्रार्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि घटना के बाद बेटी को परेशान हालत में देखकर जब परिवार वालों ने उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि पड़ोस में रहने वाला रतनलाल पुत्र दल्ला अहीर निवासी इंदौरा जबरन घर में घुस आया और उसके साथ दुष्कर्म किया, साथ ही वह धमकी देकर गया कि किसी को इस बारे में बताने पर जान से मार देगा। परिवाद पर थाना गंगरार में अभियुक्त रतनलाल अहीर के विरुद्ध पुलिस ने 365, 313, 354 (क) 376(2) (ठ) 452, 506 आईपीसी में प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर अनुसंधान किया गया। प्रकरण के अनुसंधान अधिकारी ने बयान लेने के बाद पीड़िता का रेप संबंधी मेडिकल करवाया गया। पीड़िता की मनोचिकित्सक से भी मानसिक रोगी होने के संबंध में रिपोर्ट प्राप्त की गई और जांच के बाद अभियुक्त रतनलाल अहीर के विरुद्ध चालान पेश किया गया।
प्रकरण की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्राप्त सैंपल की जांच के उपरांत विधि विज्ञान प्रयोगशाला से प्राप्त एफएसएल रिपोर्ट पर भी भरोसा जताया। अभियोजन और बचाव पक्ष की बहस सुनने के बाद अभियुक्त रतनलाल पुत्र दल्ला अहीर निवासी इंदौरा को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2) (ठ) में 10 वर्ष का कठोर कारावास व 25 हजार रुपए के अर्थदंड, धारा 452 में 3 साल का कठोर कारावास व 5 हजार रुपए अर्थदंड, धारा 354(क) में 3 वर्ष का कठोर कारावास व धारा 506 मैं 1 वर्ष का कठोर कारावास की सजा से दंडित किया गया है।