November 25, 2024

नोएडा पुलिस का एक्शन ‘डिजिटल अरेस्ट’ करने वाली गैंग के छह मेंबर राजस्थान से गिरफ्तार

0

नोएडा

नोएडा पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने 'डिजिटल अरेस्ट', नशीले पदार्थों की तस्करी, अवैध पासपोर्ट बनाने और मनी लॉन्ड्रिंग समेत अन्य धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल एक गैंग के छह लोगों को राजस्थान से गिरफ्तार किया है. अधिकारी ने बताया कि गिरोह की गतिविधियों का पता केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब और अन्य कई राज्यों में दर्ज 73 शिकायतों से लगाया गया है.

डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसी रणनीति है, जहां साइबर अपराधी पीड़ितों को धोखा देने के लिए उन्हें उनके घरों तक सीमित कर देते हैं. अपराधी ऑडियो या वीडियो कॉल करके डर पैदा करते हैं. वो अकसर एआई-जनरेटेड आवाज या वीडियो का इस्तेमाल करके अधिकारियों के रूप में पेश आते हैं.  

असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर (साइबर) विवेक रंजन राय ने बताया कि साइबर अपराधियों को राजस्थान के सीकर जिले के लोसल इलाके से पकड़ा गया. राय ने कहा, "ये गैंग भोले-भाले लोगों को 'डिजिटल तरीके से गिरफ्तार' करके और उन्हें डराकर यह विश्वास दिलाते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं. इस मामले में जांच जारी है और अन्य राज्यों में संबंधित अधिकारियों को सूचित किया जा रहा है."

राजस्थान के रहने वाले हैं सभी आरोपी

पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान किशन, लाखन, महेंद्र, संजय शर्मा, प्रवीण जगिंड और शंभू दयाल के रूप में हुई है. सभी आरोपी राजस्थान के विभिन्न हिस्सों के रहने वाले हैं और विभिन्न राज्यों में अपराधों में शामिल थे, जिससे यह एक व्यापक साइबर अपराध नेटवर्क बन गया.

मई में एक शख्श से ठगे थे 52 लाख रुपये

पुलिस के मुताबिक, 9-10 मई को गिरोह ने एक शिकायतकर्ता को यह विश्वास दिलाकर 52.50 लाख रुपये ठग लिए कि उसकी पहचान का इस्तेमाल विदेश में अवैध ड्रग्स, पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड वाले पार्सल भेजने के लिए किया जा रहा है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि गिरोह ने खुद को मुंबई अपराध शाखा और अन्य एजेंसियों के अधिकारियों के रूप में पेश किया और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करने का दावा किया. उनके तौर-तरीकों में तीसरे पक्ष के बैंक खातों का उपयोग करना, फोन और व्हाट्सएप कॉल करना और पीड़ितों को अपने अधिकार के बारे में समझाने के लिए फर्जी आईडी भेजना शामिल था.

पुलिस ने क्या बताया?

पुलिस ने एक बयान में कहा, "संदिग्ध खाताधारकों को बताते थे कि उनके अवैध सामान वाले पार्सल मुंबई में सीमा शुल्क विभाग द्वारा पकड़े गए थे, और जांच गोपनीय थी, जिससे वे किसी के साथ इस बारे में चर्चा करने से डरते थे." अधिकारी के मुताबिक, "संदिग्धों ने पीड़ितों के पैसे को धोखाधड़ी वाले खातों में ट्रांसफर कर दिया, बाद में इसे नकद में निकाल लिया और इसे आपस में बांट लिया. उन्होंने बैकग्राउंड में पुलिस सायरन भी बजाया और 'डिजिटल गिरफ्तारी' को वास्तविक दिखाने के लिए फर्जी आईडी भेजी."

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *