बिहार-गया में बाढ़ ने किया था पुल ध्वस्त, 24 साल से 50 गांवों के लाखों लोग परेशान
गया.
बिहार में इन दिनों पुल-पुलिया गिरने का लगातार सिलसिला जारी है और बिहार के कई इलाकों में पुल पुलिया नदी में समाहित हो रहे हैं। इसको लेकर बिहार से केन्द्र तक कि सियासत हो रही है। पक्ष-विपक्ष का आरोप प्रत्यरोप का दौरा जारी है। गया जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बाराचट्टी प्रखंड के भगवती गांव से शर्मा गांव के बीच गुलसकरी नदी पर 24 साल पहले बना पुल ग्रामीणों के लिए शोभा की वस्तु बन गया है।
क्योंकि वर्ष 2000 में लाखों रुपये के फंड से इस नदी पर पुल का निर्माण कराया गया था। ताकि इस क्षेत्र के तकरीबन 50 गांव को लाभ मिल सके। लेकिन, पुल निर्माण के चंद माह के बाद पहली बरसात में ही नदी में आये सैलाब से ध्वस्त हो गया। उसके बाद आज तक इस पुल का निर्माण नहीं हो सका है।
लालू राज में बना था यह पुल, पानी का दबाव नहीं झेल पाया
इस पुल का निर्माण बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में कराया गया था। इसके निर्माण को लेकर लाखों रुपये का फंड निर्गत किए गए थे। उसके बाद पुल का निर्माण हुआ था। लेकिन, उद्धघाटन के पहले ही नवनिर्माण पुल नदी की तेज धारा में ध्वस्त हो गया। जिसके बाद से आज तक इसका पुनःनिर्माण का कार्य नहीं किया गया है। वहीं पुलिया के निर्माण नहीं होने के कारण इस क्षेत्र के 50 गांव के ग्रामीणों को दो मिनट का रास्ता घंटो में तय करना पड़ता है। हालांकि, नदी में पुल नहीं होने के कारण इलाके के छात्र- छात्राओं को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मिनटों का सफर घंटो में तय कर शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूल जाते हैं।
जबसे होश संभालने पुल को ध्वस्त देखा: शैलेश
वहीं ध्वस्त पुल के पास स्थित शर्मा गांव के रहने वाले शैलेश कुमार शर्मा बताते हैं कि जब से होश संभाला है, तब से पुल को ध्वस्त देखा है। अगर बाजार या कालेज जाना पड़ता है तो नदी में पार करना पड़ता है। यह पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। महज कुछ ही दिनों में पुल भरभरा गिर गया था।
पुल का एक दिन भी नहीं किया उपयोग: राजकुमार
भगवती गांव के रहने वाले 50 वर्षीय राजकुमार प्रसाद बताते है कि 2000 में पुल का निर्माण कराया गया था। पुल तो बना लेकिन एक दिन भी गांव वाले उपयोग नहीं कर सके। पहली बरसात में ही पुल ध्वस्त हो गया था। जिसके वजह से लगभग पचास गांव के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बगल के शर्मा बाजार जाने के लिए दो मिनट का रास्ता को अब तीन किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। कई अधिकारी और जनप्रतिनिधि जांच के लिए आए पर आज तक कुछ भी नहीं हुआ।