खतरे में हर रोज रहती है नौनिहालो की जान
बैतूल
प्रशासन की सख्ती बेअसर साबित हो रही है। स्कूली वाहन चाहे वह ऑटो हो या वैन उनमें बच्चे लगभग झूलते हुए स्कूल जा रहे हैं। जिम्मेदार चाहे वह स्कूल प्रबंधन हो या ट्रैफिक विभाग या फिर जिला प्रशासन किसी को भी नौनिहालों की जिंदगी की फिकर नहीं है। अभिभावक भी इससे बेपरवाह हो गए हैं।
यही कारण है कि एक ऑटों में 12 से अधिक बच्चे बैठाए जा रहे है तो वहीं स्कूली वैन का भी यही हाल है। वैन में भूसे की तरह बच्चे भरे रहते है। अब यदि कोई बड़ी दुर्घटना होती है तो फिर इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा, यह बड़ा सवाल है।
स्कूली वाहनों में बच्चों को ठूंस-ठूंसकर भरकर स्कूल ले जाया जा रहा है। ऑटों बच्चों से ठसाठस भरे हुए थे। यहां तक कि ऑटों में बच्चों को पीछे तो बैठाया ही गया था साथ ही चालक के दोनों तरफ बच्चे बैठे हुए थे। जो कभी भी नीचे गिर सकते थे। जब इस संबंध में ऑटों चालकों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अभिभावक ही बच्चों को भेजते हैं। स्कूल संचालक भी कुछ नहीं कहते इसलिए हमको तो पैसा चाहिए।
कई ऑटो चालकों ने बताया कि हम सावधानी बरतते हैं कि बच्चों को किसी भी तरह का नुकसान न हो। लेकिन सवाल यह उठता है कि प्रशासन क्या कर रहा है। बैठकों में नियम बनाकर कार्रवाई करना भूल जाते हैं। सोमवार का दिन ऐसा रहा कि लगभग सभी निजी स्कूलों के बच्चे ऑटों में ओवरलोड स्कूल पहुंचे लेकिन ट्रैफिक पुलिस ने भी इनको रोकने का कोई प्रयास नहीं किया। आरटीओ विभाग तो इस मामले में केवल कागजी कार्रवाई कर रहा है।
कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
जिस तरह से ऑटो एवं वैन में क्षमता कई गुना अधिक बच्चों को बैठाया जा रहा है, इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ओवरलोड ऑटो पर कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन एवं पुलिस ने तैयारी की थी और कुछ दिन तक ऑटों की चेकिंग कर समझाइश भी दी गई। लेकिन इसके बाद सब पुन: पुराने ढर्रे पर चल रहा है। अभिभावक भी बेपरवाह बने हुए हैं। जबकि ऑटों में ओवरलोड पर हरहाल में रोक लगार्ई जानी चाहिए।