November 26, 2024

नेपाल भूस्खलन में लापता लोगों को बिहार में खोजेंगे भारतीय गोताखोर, 62 यात्रियों में से 38 की तलाश जारी

0

पटना/पश्चिम चंपारण.

नेपाल में भूस्खलन से त्रिशूली नदी में लापता हुए 62 यात्रियों में से 38 लोगों की खोज अब भारतीय टोही दल करेगा। इसके लिए नेपाल सरकार के आग्रह पर 12 लोगों का टोही दल शुक्रवार को घटनास्थल पर पहुंच चुका है। जानकारी के मुताबिक, नारायणगढ़ मुगलिंग सड़क खंड में सिमलताल के पास भूस्खलन होने से त्रिशूली नदी में लापता दो बस और उन पर सवार यात्रियों की खोज अब भारतीय टोही दल करेगा। इसके लिए यह दल शुक्रवार की रात घटनास्थल पर पहुंच गया है।

नेपाल में हुई इस भीषण घटना में लोगों का विश्वास जीतने के लिए नेपाल सरकार और प्रशासन द्वारा वे सभी कार्य किए जा रहे हैं जो आवश्यक हैं। नेपाल में भारतीय टोही दल के पहुंचने की जानकारी नेपाली गृह मंत्रालय की विपदा महाशाखा के प्रमुख भीष्म कुमार भूसाल ने नेपाली नागरिकों को दी है। सिमलताल के पास हुए भूस्खलन में दो बसों पर 65 यात्री सवार थे, जिनमें से तीन यात्री नदी को तैर कर बाहर आ गए। जबकि बाकी सभी 62 यात्री नदी की धारा के साथ बह गए। उनकी तलाशी घटना के बाद से ही नेपाली सरकार द्वारा शुरू कर दी गई थी। इस तलाशी अभियान में नेपाली टोही दल द्वारा 23 यात्रियों के शव अब तक खोजे जा चुके हैं। यह रिपोर्ट शुक्रवार की शाम तक की है। अभी भी 38 यात्रियों को ढूंढा नहीं जा सका है। नेपाली टोही दल द्वारा बरामद किए गए शवों में अधिकांश शव गंडक बैराज के पास मिले हैं। चितवन की तरफ पांच, पश्चिम नवल परासी की तरफ एक और बाकी सभी 17 को पूर्वी नवल परासी के पास बरामद किया गया है। अब देखना है कि भारतीय टोही दल को कितनी सफलता हाथ लगती है। इधर, त्रिशूली नदी में बस सहित लापता अधिकांश यात्रियों के शव न मिलने से निराश लोग अब उनके सांकेतिक शव का अंतिम संस्कार करने लगे हैं। बीरगंज के गहवा निवासी एन्जल बस के चालक जवाहीर महतो का भी इसी तरह आज अंतिम संस्कार किया गया। गमगीन माहौल में बस चालक जवाहीर महतो का कुश का सांकेतिक शव बनाया गया और इसका दाह संस्कार किया गया। इनके घरवालों ने इतने दिनों तक इंतजार किया। प्रतिदिन इनके शव के आने का इंतजार होता रहा। थक-हार कर स्थानीय जानकारों से पूछताछ की। हिंदू धर्म में जो परंपरा और मान्यता है, उसके अनुरूप इन लोगों ने इनका दाह संस्कार कर दिया।

बताया जा रहा है कि दाह संस्कार के लिए बांस की पचाठी बनाई गई और उस पर क़ुश का सांकेतिक शव बनाया गया। कफन दिया गया और मृतक की तस्वीर रख यह क्रिया कर्म किया गया। अब परंपरा के अनुरूप इनकी बारहवीं की जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *