November 26, 2024

कांवड़ यात्रा रूट पर नेम प्लेट विवाद में SC में दाखिल की गई एक समर्थन याचिका

0

नई दिल्ली

कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को फिलहाल 'नेमप्लेट' लगाने की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट नेमप्लेट लगाने की बाध्यता को खत्म करने का आदेश दे चुकी है. लेकिन यह मामला अभी थमा नहीं है. अब सुप्रीम कोर्ट में 'नेमप्लेट' के समर्थन में एक याचिका दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले को जबरदस्ती साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने खुद को इस मुद्दे पर पक्षकार बनाया जाने की मांग भी की है.

मुजफ्फरपुर पुलिस के निर्देश का समर्थन करते हुए याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव का कहना है कि नेमप्लेट लगाने का निर्देश शिवभक्तों की सुविधा, उनकी आस्था और कानून व्यवस्था को कायम रखने के लिहाज से दिया गया है. कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में इसे बेवजह साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है.

दुकानदारों ने नहीं दाखिल की याचिका

याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मसले पर कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले दुकानदार नहीं हैं, बल्कि वो लोग हैं, जो इसे सियासी रंग देना चाहते हैं. याचिकाकर्ता ने शिवभक्तों के मूल अधिकारों का हवाला देकर खुद को इस मसले में पक्षकार बनाये जाने और उसका पक्ष सुने जाने की मांग की है.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था क‍ि मामले में अगली सुनवाई तक किसी को जबरन नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. तब सुप्रीम कोर्ट ने ये भी पूछा था क‍ि क्‍या ये स्वैच्छिक है. मैंडेटरी नहीं है. तब सिंघवी ने जवाब दिया था क‍ि वह कह रहे हैं कि ये स्वैच्छिक है, लेकिन जबरन करवाया जा रहा है. जो नहीं मान रहे उनके ख‍िलाफ कार्रवाई की जा रही है. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी और तुरंत रोक लगा दी थी.

विश्व हिंदू परिषद ने कहा था क‍ि इस फैसले से लोगों का मनोबल प्रभाव‍ित होगा. विहिप के महासचिव बजरंग बागड़ा ने कहा, ‘माननीय उच्चतम न्यायालय ने कांवड़ यात्रियों के मार्ग पर पड़ने वाले ढाबों और अन्य भोजनालयों के मालिकों या संचालकों की पहचान प्रदर्शित करने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी है. इससे हिंदू समुदाय, हिंदू श्रद्धालुओं और कावंड़ यात्रा करने वालों का मनोबल गिरा है.’

SC ने आदेश में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान कहा है कि उपरोक्त निर्देशों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करना उचित है. ढाबा मालिकों, फल विक्रेताओं, फेरीवालों समेत खाद्य विक्रेताओं को भोजन या सामग्री का प्रकार प्रदर्शित करने की जरूरत हो सकती है, लेकिन उन्हें मालिकों की पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल यूपी, उत्तराखंड की सरकार को नोटिस भी जारी किया है. कोर्ट का कहना था कि यदि याचिकाकर्ता अन्य राज्यों को जोड़ते हैं तो उन राज्यों को भी नोटिस जारी किया जाएगा.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, पिछले हफ्ते मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों को अपने मालिकों की नेमप्लेट लगाने के निर्देश दिए थे. बाद में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में इस आदेश को लागू कर दिया. उत्तराखंड सरकार ने भी इस संबंध में आदेश जारी किया था. योगी सरकार के इस कदम की ना सिर्फ विपक्ष, बल्कि एनडीए के सहयोगी जेडी(यू) और आरएलडी समेत अन्य पार्टियों ने भी आलोचना की थी.

विपक्ष ने आरोप लगाया था कि ये आदेश सांप्रदायिक और विभाजनकारी है और इसका उद्देश्य मुसलमानों और अनुसूचित जातियों (एससी) को उनकी पहचान बताने के लिए मजबूर करके उन्हें निशाना बनाना है. हालांकि, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड की सत्ता में मौजूद बीजेपी ने कहा था कि यह कदम कानून-व्यवस्था के मुद्दों और तीर्थयात्रियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed