राजस्थान के शिव मंदिरों में सावन महीने में खूब आते हैं भक्त, शिवलिंग का दिन में तीन बार बदलता है रंग
जयपुर/धौलपुर/राजसमंद.
राजस्थान ऐसा प्रदेश है, जो अपनी खूबसूरती और पर्यटन स्थलों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां बहुत से ऐसे मंदिर भी हैं, जो प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहते हैं। जिस तरह पूरे भारत में अलग-अलग जगह बहुत से शिव मंदिर हैं, उसी तरह राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों में बहुत से शिव मंदिर हैं। परशुराम महादेव का मंदिर राजसमंद और पाली जिले की सीमा पर स्थित है। मुख्य गुफा मंदिर राजसमंद जिले में आता है, जबकि कुंडधाम पाली जिले में आता है। इस गुफा मंदिर तक जाने के लिए 500 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है।
बता दें कि इस गुफा मंदिर के अंदर एक स्वयं भू शिवलिंग है, जहां पर विष्णु के छठे अवतार परशुराम ने भगवान शिव की कई साल तक कठोर तपस्या की थी। तपस्या के बल पर उन्होंने भगवान शिव से धनुष, अक्षय तूणीर और दिव्य फरसा प्राप्त किया था। ऐसी मान्यता है कि मुख्य शिवलिंग के नीचे बनी धूणी पर कभी भगवान परशुराम ने शिव की कठोर तपस्या की थी। इसी गुफा में एक शिला पर एक राक्षस की आकृति बनी हुई है, जिसे परशुराम ने अपने फरसे से मारा था। धौलपुर जिले में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित है। यह स्थान चंबल के बीहड़ों के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां स्थित शिवलिंग जो कि दिन में तीन बार रंग बदलता है। बता दें कि सुबह के समय शिवलिंग का रंग लाल रहता है। दोपहर को यह केसरिया रंग का हो जाता है और जैसे-जैसे शाम होती है, शिवलिंग का रंग सांवला हो जाता है। हजारों साल पुराने मंदिर की अपनी एक अलग ही आस्था है।
अलवर शहर से 24 किमी दूर स्थित नलदेश्वर महादेव मंदिर। ये गांव अपने प्राचीन महादेव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह पत्थर की चोटियों और सुंदर हरियाली से चारों ओर से घिरा हुआ है। इस मंदिर में एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जिसकी बड़ी संख्या में भक्त साल भर पूजा करते हैं।
बता दें कि मानसून की पहली बारिश के बाद इस स्थान की सुंदरता कई गुना बढ़ जाती है। यहां हर साल हजारों लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं। देव सोमनाथ मंदिर डूंगरपुर जिले से 24 किमी दूर देवगांव में स्थित है। सोम नदी के किनारे स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ये मंदिर सफेद पत्थर से बना हुआ है। तीन मंजिला देवालय 150 स्तंभों पर खड़े मंदिर का हर एक स्तंभ कलापूर्ण है, निज मंदिर में अन्य कलात्मक मूर्तियां और कृष्ण पाषाण का एक शिवलिंग है। शिवालय के पीछे विशाल कुंड है, जिसे पत्थरों की एक नाली गर्भगृह से जोड़ती है।