भारत में 2023 तक दौड़ेंगी हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें
नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे ने हाल के कुछ वर्षों में अपनी छवि काफी बदली है। वंदे भारत, तेजस एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें इसके उदाहरण हैं। इस बीच केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि 2023 तक भारत में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें भी चलने लगेंगी। इसको लेकर काफी काम हो चुका है। रेल मंत्री भुवनेश्वर में SOA विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रेल अपनी गति को बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है।
रेल मंत्री ने कहा, "वंदेभारत एक्सप्रेस सेमी हाई स्पीड और भारत में सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेनों में से एक है। इसको अब भारत में ही तैयार किया जा रहा है। वंदे भारत ट्रेन पिछले दो वर्षों से बिना किसी बड़े ब्रेकडाउन के सुचारू रूप से चल रही है।" आपको बता दें कि हाल ही में वंदे भारत को रेलवे सुरक्षा आयुक्त से हरी झंडी मिली है।
ट्रेन और ट्रैक प्रबंधन के बारे में बात करते हुए मंत्री ने कहा, "हमारा ध्यान केवल ट्रेनें बनाने पर नहीं है। हम सेमी-हाई या हाई-स्पीड ट्रेनों को चलाने के लिए ट्रैक प्रबंधन प्रणाली पर भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वंदे भारत के ट्रायल रन के दौरान हमने देखा कि कैसे पूरी तरह से भरा हुआ पानी का गिलास 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार में भी हिलता नहीं है। हालांकि इसने दुनिया को हिला कर रख दिया है।" रेल मंत्री ने यह भी बताया कि वंदे भारत का ट्रायल रन सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद अब 72 ट्रेनों का प्रोडक्शन जल्द शुरू होगा। उन्होंने कहा, "तीसरी वंदे भारत ट्रेन की अधिकतम गति 180 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह सिर्फ 52 सेकेंड में 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ती है। बुलेट ट्रेन को इसमें 55 सेकेंड लगता है।"
जर्मनी ने अगस्त में किया लॉन्च
जर्मनी ने लोअर सैक्सोनी में हाइड्रोजन से चलने वाली यात्री ट्रेनों का दुनिया का पहला बेड़ा लॉन्च किया है। रिपोर्टों के अनुसार, हाइड्रोजन ईंधन सेल ड्राइव वाली 14 ट्रेनों का निर्माण फ्रांसीसी कंपनी एल्सटॉम ने किया है। जर्मनी में डीजल से चलने वाली ट्रेनों की जगह अब इसे चलाया जाएगा। इन ट्रेनों से सालाना 16 लाख लीटर डीजल की बचत होगी। एल्सटॉम के अनुसार, प्रत्येक ट्रेन की क्षमता 999 किलोमीटर की दूरी तय करने की होगी। इसकी अधिकतम गति 140 किलोमीटर प्रति घंटे होगी।
हाइड्रोजन ट्रेन की विशेषता
इस ट्रेन में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है, जिससे डीजल की काफी बचत होती है। यह हाइब्रिड ट्रेने होती हैं, जिनमें अक्षय ऊर्जा भंडारण जैसे बैटरी या सुपर कैपेसिटर लगे होते हैं। ये हाइड्रोजन ईंधन के पूरक हैं। यह ट्रेन की रफ्तार को बढ़ाती है।