झारखंड विधानसभा में अनुपूरक बजट पेश, बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर मचा हंगामा
रांची.
झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र का आज दूसरा दिन है। यह हेमंत सोरेन सरकार का विधानसभा में अंतिम सत्र होने वाला है। छह दिवसीय मानसून सत्र का पहला दिन (26 जुलाई) को शांतिपूर्वक बीता। मगर आज तस्वीर बदली दिखाई दी। सदन के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर विपक्ष का हंगामा देखा गया। दरअसल, भाजपा विधायकों ने आज बांग्लादेशी घुसपैठ और आदिवासियों के खिलाफ कथित अत्याचार का मुद्दा उठाया।
उन्होंने इन मुद्दों पर चिंता जताई, जिसकी वजह से सदन में जोरदार हंगामा हुआ। हंगामे के चलते विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। सुबह 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, भाजपा सदस्य सदन के बीचोंबीच आ गए और संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने के हाईकोर्ट के निर्देश तथा पाकुड़ के एक छात्रावास में आदिवासी छात्रों पर पुलिस के कथित अत्याचारों पर सरकार से जवाब मांगने लगे।
कई बार कार्यवाही हुई स्थगित
हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। सबसे पहले सुबह 11 बजकर 26 मिनट से दोपहर साढ़े 12 बजे तक के लिए कार्यवाही रोकी। इसके बाद जब सत्र दोपहर 12:35 बजे फिर से शुरू हुआ, तो हंगामा जारी। अंत में दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर सदन की कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी गई।
अनुपूरक बजट पेश
हंगामे के बीच वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 4,833.39 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया। विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने भाजपा नेताओं से बार-बार अपनी सीटों पर लौटने और सदन को सुचारू रूप से चलने देने की अपील की, लेकिन विरोध जारी रहा।
आदिवासियों की जमीन कथित तौर पर हड़प ली
विपक्ष के नेता अमर कुमार बाउरी ने सरकार पर लोगों की आवाज नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि पाकुड़ में घुसपैठियों ने दो आदिवासियों की जमीन कथित तौर पर हड़प ली है। जब उन्होंने जमीन हड़पने के खिलाफ आवाज उठाई, तो उन्हें पीटा गया। आदिवासियों का दुमका के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। बाउरी ने कहा कि जब आदिवासी छात्र संघ ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला किया, तो पुलिस ने पाकुड़ के केकेएम कॉलेज में घुसकर उनकी पिटाई की। उन्होंने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने का निर्देश दिया है। बाउरी ने कहा, 'हम सरकार से जवाब चाहते हैं कि अदालत के आदेश के बाद और आदिवासी छात्रों की पिटाई में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।'
आदिवासी आबादी घट रही
इससे पहले भी बाउरी ने आरोप लगाया कि झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासी आबादी घट रही है, जबकि बांग्लादेशी घुसपैठियों की आबादी बढ़ रही है, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर चुप है। उन्होंने आगे कहा कि संथाल परगना में आदिवासी आबादी 1951 में 44 प्रतिशत थी, जो 2011 की जनगणना में घटकर 28 प्रतिशत हो गई। दूसरी ओर, मुस्लिम आबादी, जो नौ प्रतिशत थी, इसी अवधि में बढ़कर 22 प्रतिशत हो गई। हम सरकार से जवाब मांगेंगे कि उसने संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासी आबादी की रक्षा के लिए क्या किया। बाउरी ने आरोप लगाया कि झामुमो नीत गठबंधन सरकार ने पिछले पांच साल में लोगों से किए अपने किसी भी वादे को पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा कि सरकार न तो युवाओं को नौकरी दे सकी और न ही बेरोजगारी भत्ता। वहीं, पिछले पांच वर्षों में राज्य में आदिवासियों और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बढ़े हैं।