अंग्रेजी शराब दुकान के ठेकेदार की मनमानी का जवाब नहीं, आबकारी अधिकारी बनकर बैठे धृतराष्ट्र
जयसिंहनगर
स्थानी जयसिंहनगर में अंग्रेजी शराब दुकान के ठेकेदार की मनमानी का जवाब नहीं और यह मनमानी केवल इसी ठेकेदार की नहीं बल्कि लगातार चलती ही आई है क्योंकि आए दिन ठेकेदारों के मध्य और लोगों के मध्य विवादित स्थितियां होती ही रही है उसके बाद भी आज तक कार्यवाही का सिर्फ दिखावा किया गया है तभी तो आने वाला हर ठेकेदार अपने आप को सब कुछ समझ कर जयसिंहनगर में अपना रोप जमाता है.
रेट सूची का निर्धारण नहीं-बस स्टैंड में खुले अंग्रेजी शराब दुकान के ठेकेदार द्वारा मनमानी तरीके से शराब की बिक्री करवाई जा रही है तभी तो इनके द्वारा लोगों के साथ आला अफसरों के आंख में भी लगातार धूल झोंकी जाती है आबकारी अधिकारी से सूची लगवाने का निवेदन किया जाता है उसके बाद भी उनके द्वारा शराब ठेकेदार के पक्ष में बोल बोले जाते हैं और सूची बाहर लगवाने की वजाय सफाई पेश की जाती है तभी तो ठेकेदार अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं.
नहीं दिया जाता बिल-अंग्रेजी शराब दुकान मैं बैठे कर्मचारियों द्वारा ग्राहक को सामग्री के साथ बिल प्रदान ना किए जाने का कारण क्या है अगर शराब सही रेट पर बिक्री की जाती है तो ग्राहक के मांगने पर बिल प्रदाय किया जाना चाहिए जिससे ग्राहकों को संतुष्टि प्रधान हो सके किंतु ग्राहकों को दिल न प्रदाय कर अंग्रेजी शराब दुकान के कर्मचारियों द्वारा विवादित स्थितियां उत्पन्न की जाती है और वहां पर उस दुकान में बैठे लोगों द्वारा ग्राहकों की ही गलतियां ठहरा जाती है जिस विषय पर आपकारी की नजर कभी भी नहीं जाती और ना ही प्रशासन की.
नियमों की लगातार आलोचना-आबकारी विभाग द्वारा नियमों की लंबी कतारें तू बनाई जाती हैं पर उनके द्वारा उन नियमों को कहां तक संचालित कराया जाता है वह किसी से छिपा हुआ नहीं है उनके द्वारा जहां एक और यह बताया जाता है कि मंदिरवा विद्यालय का नियम ग्रामीण क्षेत्रों में लागू होता है उसके बाद भी इनके द्वारा अंग्रेजी शराब दुकान ग्रामीण क्षेत्रों में ना खोल कर बल्कि शहरी क्षेत्रों में संचालित किया जाता है जहां एक और राष्ट्रीय एवं राज्यीय राजमार्ग से दुकान का साइन बोर्ड नहीं दिखना चाहिए का नियम का दिखावा करते हैं वही जयसिंह नगर से दो राज्यीय राजमार्ग जो छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश को जाते हैं वहां से दुकान का साइन बोर्ड स्पष्ट दिखाई दे रहा है उसके बाद भी आबकारी विभाग आंख बंद करके बैठी हुई है सब कुछ जानते हुए भी इनके द्वारा नियमों को ताक में रखकर और ठेकेदारों को प्रोत्साहित कर दुकान का संचालन करवाया जा रहा है.
पैकारी पर नहीं लगता लगाम-बेकारी की बात करें तो ठेकेदारों द्वारा ठेका तो एक जगह का लिया जाता है किंतु उनके द्वारा आसपास के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बेकारी के माध्यम से शराब की बिक्री कराई जाती है यही नहीं बल्कि वहां पर विदेशी भी उपलब्ध करवाई जाती है.