राजस्थान में विकास और स्थानीय युवाओं को मिले रोजगार, विधायक भाटी ने विधानसभा में उठाई आवाज
जयपुर.
राजस्थान विधानसभा शिव विधायक रवींद्र भाटी ने कहा कि जिस विधानसभा क्षेत्र का मैं प्रतिनिधित्व करता हूं, वह मूलभूत सुविधाओं जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार, बिजली, पानी और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है। भाटी ने अपने क्षेत्र के निवासियों की कठिनाइयों को उजागर करते हुए कहा कि पाकिस्तान की सीमा पर 55 डिग्री तापमान में भी हमारे लोग अपने अदम्य साहस और संकल्प के बल पर राष्ट्र प्रथम की भावना को जीवित रखते हैं।
आजादी के 77 वर्ष बाद भी वे सड़कों, पानी, बिजली, शिक्षा, रोजगार, संचार और परिवहन जैसी सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं। उन्होंने सदन में बताया कि वर्तमान समय में उनके क्षेत्र में कई नामी कंपनियां सोलर प्लांट स्थापित कर रही हैं, लेकिन इसका फायदा स्थानीय लोगों को न तो रोजगार के रूप में मिल रहा है और न ही उत्पादित बिजली का उपयोग करने के रूप में। “आखिर क्या कसूर है उन वाशिंदों का जो प्रकृति के प्रतिकूल थपेड़ों के साथ-साथ सरकारी उदासीनता के थपेड़े भी झेल रहे हैं?” भाटी ने भावुक होकर सवाल उठाया। भाटी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इन कंपनियों का सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) फंड भी उन स्थानीय लोगों तक नहीं पहुंच रहा, जिनकी भूमि, चारागाह और स्वच्छ वायु इन कंपनियों ने छीन ली है। “सूर्य देवता के प्रचंड ताप और लू के थपेड़ों के बीच हमारे लोग प्यासे हैं, शिक्षा के लिए स्कूल नहीं हैं, और जहां हैं, वहां भी एक-एक अध्यापक के भरोसे चल रहे हैं। चिकित्सा सुविधाओं का हाल और भी बुरा है, बिजली का आना त्योहार की तरह हो गया है, और रोजगार के लिए लोग दक्षिणी भारत की ओर पलायन कर रहे हैं,” उन्होंने कहा। भाटी ने सरकार से विनम्र निवेदन किया कि क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने और बाहरी कंपनियों द्वारा संचालित प्लांटों में स्थानीय युवाओं को आवश्यक रूप से रोजगार देने के लिए विशेष कदम उठाए जाएं। “मैं सरकार से अपील करता हूं कि वे हमारे क्षेत्र की समस्याओं को गंभीरता से लें और इनका समाधान निकालें ताकि शिव क्षेत्र के लोगों के जीवन में सुधार हो सके,” उन्होंने सदन में कहा।
उन्होंने अंत में कहा, “मुझे आशा है कि सरकार मेरी बात को गंभीरता से लेकर शिव क्षेत्र के लोगों के लिए उम्मीद की किरण जगाएगी।” भाटी की इस मांग ने सदन में एक नई बहस को जन्म दिया और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।