October 1, 2024

PM नरेन्द्र मोदी आज अपने जन्म दिन पर कूनो अभयारण्य में चीतों को छोड़ा

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ग्वालियर

सात दशक बाद आज से फिर देश में चीता युग की शुरूआत हो गई है। नामीबिया से 8 चीतों को लेकर उड़ा विशेष विमान ग्वालियर एयरबेस पर आज सुबह 7.51 पर पंहुचा। 25 अधिकारियों के साथ आए इस विशेष विमान में तीन नर और पांच मादा चीते शामिल हैं। ग्वालियर की धरती पर इनके कदम रखते ही एयरपोर्ट पर चीतों के स्वास्थ्य की जांच की गई। सभी चीते जांच में स्वस्थ्य पाए गए। इसके बाद सभी चीतों को शिफ्ट करके वायुसेना के हेलीकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क में पहुंचाए गए। इस चीता युग की शुरुआत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज अपने जन्म दिन पर खुद कूनो अभयारण्य पहुंचे। प्रधानमंत्री ने विशेष विमान से आए इन आठ चीतों को कूनो अभयारण्य में बनाए गए क्वारंटाइन बाड़े में छोड़ा।  इनमें तीन नर और पांच मादा चीते हैं। सभी की उम्र ढाई से पांच वर्ष है।

पर्यटक जनवरी में देख सकेंगे
नामीबिया से कूना अभयारण्य आए चीते एक महीने तक क्वारंटाइन बाड़े में रहेंगे। इस दौरान इनके सामने सांभर और हिरण छोड़े जाएंगे। जनवरी 2023 तक एक नर चीते को कूनो के जंगल में खुला छोड़ा जाएगा, इसके बाद एक-एक करके अन्य चीतों को खुला छोड़ा जाएगा। अगले वर्ष जनवरी तक ही पर्यटक इन्हें कूनो में देख सकेंगे।  

विश्व की पहली और अनोखी शिफ्टिंग
मध्यप्रदेश में चीतों की पुनर्स्थापना जितना पर्यावरण के लिहाज से ऐतिहासिक है, उतना ही इसका आवागमन ऐतिहासिक है। किसी भी बड़े मांसाहारी वन्यप्राणी की शिफ्टिंग की यह दुनिया की पहली परियोजना है। जिन चीतों को कूनो नेशनल पार्क के छोड़ा गया है, उन्हें लाने के लिए भारत और नामीबिया सरकार के बीच 20 जुलाई 2022 को एग्रीमेंट हुआ था। हालांकि यह परियोजना काफी पुरानी है। लेकिन कानूनी मसलों के कारण उलझी रही। जब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर से प्रतिबंध हटाया तब सरकार ने इस परियोजना को पूरा करने में तेज कदम उठाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिन पर यह परियोजना संपन्न हुई।

24 घंटे की जाएगी चीतों की निगरानी

वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि बाड़े आसपास मचान बनाए गए हैं। यहां पर रोस्टर के हिसाब से ड्यूटी लगाई जाएगी। जो 24 घंटे चीतों की मॉनीटरिंग करेंगे। इसमें फारेस्ट गार्डन, रेंज अफसर, वेटनरी डॉक्टर की अलग-अलग ड्यूटी है। वेटनरी डॉक्टर उसकी हेल्थ को देखेगा। चीते नॉर्मल खाना खा रहा है या नहीं। उनकी डेली रुटीन को बीट गार्ड देखते रहेंगे। शिकारियों से बचाने के लिए 8-10 वर्ग किमी पर एक पेट्रोलिंग कैम्प है। जिसमें गार्ड और उनके सहायक रहते हैं। इसके अलावा एक्स आर्मी के जवानों को भी लिया हुआ है। ताकि अवैध गतिविधियों को रोका जा सके।

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