October 1, 2024

चीतों के इतिहास में जुड़ा नया अध्याय, गुलजार हुआ कूनो नेशनल पार्क

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भोपाल

साल 1952 में विलुप्त हो चुके चीतों से एक बार फिर हिन्दुस्तान की धरती आबाद हो गई है। इनका नया ठिकाना मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल वन पार्क बन गया है। अपने ठिकाने पर पहुंचने के लिए नामीबिया से आठ चीते विशेष मालवाहक विमान से उड़कर आज तड़के ग्वालियर के महाराजा एयरपोर्ट पर पहुंचे और फिर यहां से ये सभी चीते सेना के तीन विशेष हेलीकॉप्टर्स कूनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंचे। सभी चीते कुछ दिन तक विशेष बाड़े में रहेंगे। वहीं जब यहां की हवा पानी और माहौल के अभ्यस्त हो जाएंगे, तो इन्हें पूरा जंगल सौंप दिया जाएगा।

करीब 70 साल बाद भारत में चीते लौट आए हैं। इन चीतों को नामीबिया से खास विमान के जरिए लाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को रिलीज किया। लुप्त श्रेणी में रखे गए ये चीते अब श्योपुर कूनो नेशनल पार्क में नजर आएंगे। कूनो नेशनल पार्क में इन चीतों के लिए खास बाड़े तैयार किए गए हैं।

माना जाता है कि मध्यभारत के कोरिया (वर्तमान में छत्तीसगढ़ में स्थित) के पूर्व महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव द्वारा 1948 में भारत में अंतिम चीते का शिकार किया गया था। अंग्रेज सरकार के अधिकारियों एवं भारत के राजाओं द्वारा किये गए अत्यधिक शिकार से 19वीं शताब्दी में इनकी संख्या में अत्यधिक गिरावट आई। अंतत: 1952 में भारत सरकार ने अधिकारिक तौर पर देश में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया।

दक्षिण अफ्रीका भी रखेगा नजर
चीतों में किसी तरह का कोई संक्रमण न हो इसके लिए गांवों के अन्य मवेशियों का भी टीकाकरण किया गया है। चीतों के लिए 5 वर्ग किलोमीटर का एक विशेष घेरा बनाया गया है। दक्षिण अफ्रीका की सरकार और वन्यजीव विशेषज्ञ इन पर नजर रखेंगे। चीतों को भारतीय मौसम से लेकर यहां के माहौल में ढलने में एक से तीन महीने का वक्त लग सकता है।

250 लोगों को बनाया चीता मित्र
पेड़ पौधे और घने जंगल के साथ नेचुरल घास का यह मैदान चीतों के लिए काफी मुफीद मानी जा रही है। चीतों को पूरी तरह से सुरक्षित रखने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। इसके लिए चीता मित्र नाम का संगठन बनाया गया है। सरकार ने आसपास के गांवों के 250 लोगों को चिता मित्र बनाया है। कूनो नेशनल पार्क में आठों चीतों की सुरक्षा के लिए एक कुत्ते को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन चीतों को नेशनल पार्क के एक विशेष बंद बाड़े में रखा जाएगा।

शिकार के लिए नरसिंहगढ़ से लाए चीतल
कूनो में वन्य-प्राणियों का घनत्व बढ़ाने के लिए नरसिंहगढ़ से चीतल लाकर छोड़े गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार क्षेत्र में शिकार का घनत्व चीतों के लिए पर्याप्त है। नर चीते दो या दो से अधिक के समूह में साथ रहते हैं। सबसे पहले चीतों को दो-तीन सप्ताह के लिए छोटे-छोटे पृथक बाड़ों में रखा जाएगा। एक माह के बाद इन्हें बड़े बाड़ों में स्थानांतरित किया जाएगा। विशेषज्ञों द्वारा बड़े बाड़ों में चीतों के अनुकूलन संबंधी आंकलन के बाद पहले नर चीतों को और उसके पश्चात मादा चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। इस संबंध में आवश्यक प्रोटोकॉल के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

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