November 27, 2024

महाकालेश्वर दरबार में 1 वर्ष में श्रद्धालुओं ने दान किये 81 करोड़ से ज्यादा

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उज्जैन
 विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Mandir) में दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन (Ujjain) पहुंचते हैं। इन्हीं श्रद्धालुओं ने अब दान का एक नया रिकॉर्ड तैयार कर दिया है। लॉकडाउन के बाद बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं ने 1 वर्ष के अंदर मंदिर में 81 करोड़ से ज्यादा का दान दिया है। ये अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड कहा जा रहा है। इस दान में लड्डू प्रसा, दान पेटी और दान रसीद से आई हुई आय शामिल है।

वर्ष भर ही विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। पिछले 2 सालों में कोरोना की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या कम हो गई थी, लेकिन लॉकडाउन के प्रतिबंध हटने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचे। त्योहार के अलावा सामान्य दिनों में भी मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ अधिक देखी गई। इस आस्था के सैलाब ने बाबा महाकाल के खजाने को पिछले वर्षों की तुलना में दोगुनी तेजी से भर दिया। मंदिर में आया यह महादान 1 सितंबर 2021 से 15 सितंबर 2022 के बीच का है। विभिन्न स्त्रोतों के जरिए ये दान आया है, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड माना जा रहा है।

महाकालेश्वर के दर्शन करने के लिए रोजाना ही श्रद्धालु उज्जैन आते हैं। देश के अलग-अलग कौन है के अलावा विदेशों से भी श्रद्धालु बाबा के दरबार में पहुंचते हैं। महाकाल के प्रति गहरी आस्था के चलते आम श्रद्धालु हो या फिर कोई बड़ा उद्योगपति हर कोई अपनी हैसियत के हिसाब से यहां दान करके जाता है। मंदिर में भेंट पेटी, ऑनलाइन भुगतान, पूजन अभिषेक रसीद, चेक, लड्डू प्रसाद, मंदिर धर्मशाला में ठहर कर दान दिया जा सकता है। मंदिर का नाम वैसे भी हर वर्ष करोड़ों की आय करने वाले सबसे बड़े कॉरिडोर वाले मंदिरों की लिस्ट में शामिल है।

लॉकडाउन के बाद बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं ने जिस तरह से दान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ठीक उसी तरह से महाकालेश्वर मंदिर समिति ने भी श्रद्धालुओं की व्यवस्था का ध्यान रखा है। मंदिर में आने वाले किसी भी श्रद्धालुओं को दर्शन करने में पिछले वर्ष में कोई भी परेशानी नहीं आई है। हालांकि, समिति को दर्शन व्यवस्था अच्छी तरह बनाने के लिए मशक्कत जरूर करनी पड़ी क्योंकि मंदिर के विस्तारीकरण का काम चल रहा था। ऐसे में जो व्यवस्था उपलब्ध थी उसी से बेहतर तरीके से श्रद्धालुओं को दर्शन कराए गए। महाकाल की भक्ति में रमें श्रद्धालुओं ने दान के माध्यम से एक बड़ा रिकॉर्ड तैयार कर दिया।

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