समुदाय के स्वच्छता व्यवहार में परिवर्तन से बीमारियों में आ रही कमी
कलेक्टर डी. राहुल वेंकट के निर्देशन में एवं परियोजना निदेशक नितेश उपाध्याय के मार्गदर्शन में अब गांव की गलियां और घरों से निकलने वाले सूखे कचरे को स्वच्छाग्रहियों के द्वारा साप्ताहिक डोर टू डोर संग्रहण कर सेग्रिकेशन सेड में ले जाकर पृथक्करण किया जा रहा है।
स्वच्छ हो रहे चौक चौराहे
नियमित साप्ताहिक अपशिष्ट संग्रहण से जहां एक ओर घरों का कचरा अब सड़कांे पर नहीं फेका जा रहा है। जिससे गांव की गलियां और चौक चौराहे पहले से स्वच्छ नजर आने लगा है जिसका मुख्य कारण ग्रामीणों के बदलते व्यवहार है और स्वच्छाग्रहियों का श्रम है।
अतिरिक्त आय का सृजन
कचरा अब आय का भी स्रोत बन रहा है। सेग्रिकेशन सेड में संग्रहित कचरे से अब अतिरिक्त आय का जरिया बन गया है। स्वच्छाग्रहियों के द्वारा एकत्रित प्लास्टिक लोहा, टीना, कागज़ के गत्ते, को कबाड़ी वाले को विक्रय कर अतिरिक्त आय सृजित कर रही है वही दूसरी ओर यूजर चार्ज और ग्राम पंचायत के द्वारा स्वच्छता शुल्क के रूप में मासिक पारिश्रमिक प्रदाय की जाती है।
बीमारियों के प्रादुर्भाव में आई कमी
ग्राम पंचायत में ग्रामीणों के मध्य जागरूकता हेतु स्वच्छता रैली, स्वच्छता संवाद के द्वारा स्वयं जागरूक होने से घरेलू गंदे पानी का उचित प्रबंधन, किचिन गार्डन या सोखता गड्ढा बनाकर किया जा रहा है। घर आंगन के आसपास अपशिष्ट जमा नहीं है एवं स्वच्छ हाथ से भोजन बनाया एवं ग्रहण किया जा रहा। स्वच्छ पानी का उपयोग किया जा रहा जिससे वर्षा ऋतु में होने वाली जल जनित बीमारियों में भी कमी आई है।