November 26, 2024

सुप्रीम कोर्ट परिसर में नहीं मिली दवाई, महिला वकील की जांघ पर बंदर ने काटा, HC में लगा इंजेक्शन

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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट परिसर में बुधवार को एक वकील पर बंदरों ने हमला कर दिया। महिला वकील उस समय कोर्ट में एंट्री कर ही रही थीं कि बंदर उन पर झपट पड़े। इस हमले में वह घायल हो गईं। अधिवक्ता एस सेल्वाकुमारी सुप्रीम कोर्ट संग्रहालय के बगल में स्थित गेट नंबर जी से एंट्री कर रही थीं, तभी अचानक बंदरों के एक झुंड ने उन पर हमला कर दिया। उनमें से एक ने उनकी दाहिनी जांघ को काट लिया।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, वह सुप्रीम कोर्ट के प्राथमिक उपचार क्लिनिक में पहुंची, लेकिन डिस्पेंसरी में उनके कोई दवाई नहीं मिली क्योंकि वहां मरम्मत का काम चल रहा था। सेल्वाकुमारी ने बताया, "मैंने जैसे ही सुप्रीम कोर्ट में घुसने की कोशिश की वैसे ही एक बंदर ने मेरी जांघ पर काट लिया। गेट एरिया के बाहर भी मुझे बचाने वाला कोई नहीं था। वहां कोई तैनात नहीं था, फिर जब मैं सुप्रीम कोर्ट की डिस्पेंसरी में पहुंची, तो वहां मरम्मत का काम चल रहा था।"

वकील को उसके दोस्तों ने रजिस्ट्रार कोर्ट के पास स्थित पॉलीक्लिनिक में पहुंचाया, लेकिन वहां भी "कोई दवा उपलब्ध नहीं थी"। सेल्वाकुमारी ने कहा, "पॉलीक्लिनिक में कुछ डॉक्टर थे… उन्होंने केवल घाव को साफ किया। लेकिन प्राथमिक उपचार की कोई दवा नहीं थी। कुछ भी नहीं किया। मुझे बस राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल जाने के लिए कहा गया।" इसके बाद वह दिल्ली हाईकोर्ट की डिस्पेंसरी गई, जहां उन्हें टिटनेस का इंजेक्शन लगा।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की स्थायी सदस्य महिला वकील ने कहा, "इसके बाद मैं आरएमएल अस्पताल गई और मुझे तीन और इंजेक्शन लगे। उसके बाद आज दो और इंजेक्शन लगे। अब मेरे शरीर पर कुछ रिएक्शन हो रहे हैं। बहुत ज्यादा बुखार और मानसिक आघात है। उनके पास कम से कम दवाइयां तो होनी चाहिए थीं। गेट पर भी बंदरों को भगाने या ऐसी घटना से बचाने वाला कोई नहीं है।"

2022 में सुप्रीम कोर्ट ने जजों के बंगलों में घुसने वाले बंदरों को "डराकर भगाने" के लिए लोगों को एक आधिकारिक टेंडर जारी किया था। नोटिस में लिखा था, "भारत के सुप्रीम कोर्ट से तीन से चार किलोमीटर के दायरे में लगभग 35 से 40 बंगले हैं और जरूरत के हिसाब से या जब भी जरूरत होगी, बंदरों को भगाने वाले तैनात किए जाएंगे।" वर्ष 2023 में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में 'बंदरों के खतरे' पर अंकुश लगाने के लिए समिति गठित करने की मांग की गई थी।

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