भंडारण में ट्रांसपेरेंसी बनाए रखने के लिए कलेक्टर दे सकेंगे अनुमति
भोपाल
प्रदेश में गोदामों की संख्या में वृद्धि के बाद भंडारण में ट्रांसपेरेंसी बनाए रखने के लिए अब एमपी वेयर हाउसिंग कारपोरेशन पहले सरकारी गोदामों में ही भंडारण कराएगा। इसके लिए कुछ मामलों में भौगोलिक स्थिति को देखते हुए गेहूं और धान के भंडारण की अनुमति कलेक्टर दे सकेंगे। खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग ने इसको लेकर कलेक्टरों को लिखे पत्र में कहा है कि कारपोरेशन का कोई भी जिला, संभाग अधिकारी सिर्फ कलेक्टरों को गोदामों की जानकारी उपलब्ध कराएगा। बाकी काम में इनका कोई रोल नहीं रहेगा। पारदर्शिता के साथ प्रायरिटी में किन गोदामों में भंडारण का काम कराना है, यह कलेक्टर ही तय करेंगे।
प्रमुख सचिव खाद्य द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि पिछले सालों में भंडारण के लिए गोदामों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है और कई बार निजी गोदामों में भंडारण सरकारी गोदामों की अनदेखी करने के मामले भी होते रहे हैं। इसलिए अभी से यह व्यवस्था तय की जाए कि पहली प्राथमिकता सरकारी गोदाम होंगे जहां धान और गेहूं का उपार्जन किए जाने के बाद भंडारण किया जाएगा। इसके बाद जरूरत के आधार पर निजी गोदामों को भंडारण के लिए चिन्हित किया जाएगा। यह सारा काम वेयरहाउसिंग कारपोरेशन की निगरानी में होगा। इसमें यह भी तय कर दिया गया है कि प्राथमिकता क्रम में निजी गोदामों को भंडारण के लिए उसी स्थिति में चुना जाएगा जब रबी सीजन में 1 मार्च, खरीफ सीजन में एक अक्टूबर और ग्रीष्म कालीन उपज के लिए 1 मई तक आनलाइन आफर मिल जाएंगे। गोदामों के बारे में सही जानकारी देने के लिए आरएम, डीएम और बीएम सीधे तौर पर उत्तरदायी होंगे। कलेक्टर इसकी रेंडम जांच करा सकेंगे और किसी के मामले में अगर लाभ पहुंचाने की शिकायत मिलती है तो कलेक्टर जांच के बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए वेयर हाउसिंग कारपोरेशन को प्रस्ताव भेजेंगे। इसमें यह भी कहा गया है कि जिन स्थानों पर धान मिलर्स की उपलब्धता होगी उसके पास के गोदामों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। इस मामले में कलेक्टर अपने स्तर पर भी फैसला ले सकेंगे।